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Friday, February 28, 2025

प्रेम क्या है .....

प्रेम क्या है ..... 
हथेली पर रखा 
एक कपूर का टुकड़ा
टुकड़ा गल जाता है ..... 
खुशबू रह जाती है

प्रेम क्या है ..... 
बदन पर गिरा
शबनम का एक क़तरा
क़तरा बह जाता है ...... 
एहसास रह जाता है

प्रेम क्या है ..... 
माथे पर दिया गया
एक मीठा बोसा
बोसा छूट जाता है ...... 
तिलस्म रह जाता है 

प्रेम क्या है ..... 
आँखों का जादू
जादू चल जाता है ...... 
बुत थम जाता है

बस यूँ ही..... 
प्रेम चलता रहता है
दिल बहलता रहता है
रुत आती हैं गुदगुदा कर चली जाती हैं...
रह जाती हैं बस यादें......
🌹🌹🌹🌹


सपना साहू 
इंदौर, मध्य प्रदेश 

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