Breaking

Your Ads Here

Monday, February 24, 2025

सीजेएम मेरठ, मेडिकल एसएचओ और विवेचक के खिलाफ शिकायत

 


-प्रेसवार्ता करके डा. छवि बंसल को फर्जी तरीके से जेल भेजने का लगाया आरोप

शाहिद खान

नित्य संदेश, मेरठ। ज़िला मेरठ बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री राम कुमार शर्मा एडवोकेट ने सोमवार को छीपी टैंक स्थित निम्बस बुक सेंटर पर प्रेसवार्ता की। डॉक्टर छवि बंसल प्रकरण में को लेकर उन्होंने सवाल खड़े किए। बताया कि थाना मेडिकल में डा. छवि के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत हुआ था। मुक़दमे में अन्य आरोपियों के साथ डॉक्टर छवि बंसल को भी आरोपी बनाया गया।

एडवोकेट राम कुमार शर्मा ने बताया, पुलिस प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था के कुचक्र ने साक्ष्यों के अभाव में निर्दोष महिला डॉक्टर को जेल भेज दिया, जो 12 से 21 फरवरी तक जेल में रही। बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट की धारा-28 के अनुसार डॉ. छवि बंसल के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा थाने में पंजीकृत नहीं हो सकता था, इसमें केवल complaint case ही न्यायालय में 15 दिन के नोटिस के पश्चात दर्ज किया जा सकता था। मुकदमे में सजा का प्रावधान मात्र तीन से पाँच साल तक है, इसलिए पुलिस 35 BNS का नोटिस देकर डॉ. छवि बंसल को थाने से ही छोड़ सकती थी, लेकिन नहीं छोड़ा गया। 12 फरवरी को जब थाना पुलिस ने डॉ. छवि बंसल को रिमांड के लिए कोर्ट लेकर गई तो रिमांड पर बहस हुई, लेकिन सीजेएम आकांशा मिश्रा ने जब पुलिस और जाँच अधिकारी से रिमांड बनाने के संदर्भ में कहा तो जाँच अधिकारी एपीओ ने सीजेएम की सहमति से बिना किसी जाँच और पुख्ता आधार के बीएनएस की धारा 61(2), 318(4) आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी की धाराओं का इजाफ़ा कर दिया, जबकि पुलिस रिमांड प्रपत्र 202 पर भी बीएनएस की उक्त धारा का कोर्ट में अभियुक्त को लाने से पूर्व कोई कहीं भी वर्णन नहीं था, जाँच अधिकारी के द्वारा दाखिल जीडी के अनुसार भी अभियुक्त के विरुद्ध बीएनएस की धारा के 61, 318 का कोई वरण नहीं था। मुख्य बात यह है कि षड्यंत्र और धोखाधड़ी की धारा डॉक्टर पर नहीं लग सकती थी, मुकदमे की तहरीर के अनुसार, जो दलाल और डिकॉय ऑपरेशन में लिप्त अधिकारियों पर उक्त धोखाधड़ी की धारा का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए था, उन्होंने फर्जी आधारकार्ड बनाकर उसका प्रयोग कर किसी को गंभीर धाराओं के मुकदमे में आरोपी बनाया। ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस ने यह सब किसी भारी दवाब के कारण किया था। पुलिस और न्यायालय ने मिलकर जानबूझ कर एक निर्दोष व्यक्ति को जेल भेज दिया।

एडवोकेट राम कुमार शर्मा ने बताया कि मामले की विवेचना और निष्पक्ष जाँच करने के लिए सीजेएम आकांक्षा मिश्रा की न्यायिक जाँच के लिए चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया, चीफ़ जस्टिस प्रयागराज हाईकोर्ट, एडमिनिस्ट्रेटिव जज प्रयागराज हाई कोर्ट, जनपद ज़िला जज को शपथपत्र के साथ प्रार्थना पत्र भेजा है। मुकदमे के विवेचक और थाना अध्यक्ष के विरुद्ध भी पुलिस उप महानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत दर्ज कराई है। दोनों अधिकारियों ने सम्पूर्ण प्रकरण की निष्पक्ष जाँच कर आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है। 

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here