नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ. अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) सूर्य कान्त त्रिपाठी ने अपर नगर आयुक्त, नगर निगम, मेरठ, परियोजना अधिकारी, ड़डा मेरठ, उप जिलाधिकारी मेरठ (मवाना एवं सरधना), मुख्य चिकित्सा अधिकारी मेरठ, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी मेरठ, जिला कृषि अधिकारी मेरठ, तहसीलदार (मेरठ, मवाना एवं सरधना), समस्त खंड विकास अधिकारी मेरठ को पत्र प्रेषित करते हुये बताया कि अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उ० प्र० राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पत्र के माध्यम से शीत लहरी एवं पाला से बचाव हेतु क्या करें क्या ना करें आदि का जन्म समुदाय में विस्तृत प्रचार प्रसार कराए जाने की अपेक्षा की गई है।
उपरोक्तानुसार शीत लहरी एवं पाला से बचाव हेतु “क्या करें क्या ना करें आदि का जनपद स्तर तहसील स्तर ब्लॉक स्तर, ग्राम स्तर पर सोशल मीडिया प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रचार प्रसार कराए जाने हेतु प्राधिकरण की वेबसाइट (लिंक https://upsdma.up.nic.in/default.htm( Disaster Awareness Poster's (IEC Material)पर उपलब्ध है।
दैनिक मौसम की जानकारी अखबार, टी०वी०, रेडियो एवं मोबाइल फोन के माध्यम से लेते रहें, लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचें, अपने शरीर को सूखा रखें एवं गर्म कपड़ों से ढक कर रखें। अपने सर, गर्दन, हाथ एवं पैरों को मुख्य रूप से ढकें, शरीर को गर्म रखने हेतु गर्म पेय पदार्थों एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें, आवश्यकता के अनुसार सामानों की आवश्यक आपूर्ति और पर्याप्त पानी का भंडारण करें क्योंकि अत्यधिक ठंड में पानी के पाइप जमने की संभावना होती है, हीटर ब्लोअर, कोयले की अंगीठी आदि चलाते वक्त थोड़ी खिड़की खोल कर रखें और सोने से पहले सभी हीटर, ब्लोअर, कोयले की अंगीठी इत्यादि को बंद कर दें, घर के अंदर बंद कमरों में कोयता ना जलाएं। इससे उत्पन्न होने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड जानलेवा साबित हो सकती है, शरीर के अंगों के सुन्न पड़ने, हाथ-पैरों, कान एवं नाक पर सफेद या पीले रंग के दाग इत्यादि पड़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, शीत लहर के समय बुजुर्गो नवजात शिशुओं तथा बच्चों का विशेष ध्यान रखें। अपने आस पड़ोस में अकेले रहने वाले बुजुर्गों का भी ध्यान रखें, शराब का सेवन न करें क्योंकि इससे शरीर का तापमान कम हो जाता है एवं हाइपोथर्मिया की संभावना बढ़ जाती है। शीतदंश से प्रभावित स्थान पर किसी प्रकार का मसाज या मालिश न करें एवं प्रभावित स्थान को सीधे आग के संपर्क में लाने से बचें। बल्कि शीतदंश प्रभावित अंग को गर्म सुती कपड़े से सिकाई कर गर्माहट दें, एन०डी०एम०ए० में द्वारा जारी किया गया मोबाइल एप्लीकेशन यथा FAST (First Aid for Students and Teachers) एवं SACHET डाउनलोड करें।
शीतलहर/पाला के पूर्व तैयारी-दैनिक मौसम की जानकारी अखबार, टी०वी० रेडियो एवं मोबाइल फोन के माध्यम से लेते रहें। पर्याप्त सर्दियों के कपड़े स्टॉक करें। कपड़ों की कई परतें अधिक सहायक होती हैं। आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखें। ठंड के समय फ्लु नाक बहना या शीतदंश जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, जो आमतौर पर ठंड के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती हैं। ऐसे लक्षणों के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
शीतलहर/पाला के दौरान-मौसम की जानकारी का बारीकी से पालन करें और सलाह के अनुसार कार्यवाही करें। ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचने के लिए घर के अंदर रहे और यात्रा कम से कम करें। अपने शरीर को सूखा रखें एवं गर्म कपड़ों से ढक कर रखें। अपने सर गर्दन हाथ एवं पैरों को मुख्य रूप से ढकें। पर्याप्त रोग प्रतिरोधक शक्ति और शरीर के तापमान के संतुलन को बनाए रखने के लिए स्वस्थ भोजन, विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं। शरीर को गर्म रखने हेतु गर्म पेय पदार्थों एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें। आवश्यकता के अनुसार सामानों की आवश्यक आपूर्ति और पर्याप्त पानी का भंडारण करें क्योंकि अत्यधिक ठंड में पानी पादप गाने की संभावना होती है। शीत लहर के समय बुजुर्गो नवजात शिशु तथा बच्चों का विशेष ध्यान रखे। अपने आस-पड़ोस में अकेले रहने वाले बुजुर्गों का भी ध्यान रखें। हीटर, ब्लोअर, कोयले की अंगीठी आदि चलाते वक्त थोड़ी खिड़की खोल कर रखें और सोने से पहले सभी हीटर ब्लोअर, कोयले की अंगीठी इत्यादि को बंद कर दें। घर के अंदर बंद कमरों में कोयला ना जलाएं। इससे उत्पन्न होने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड जानलेवा साबित हो सकती ठप शरीर के अंगों के सूत्र पड़ने हाथ पैरों, कान एवं नाक पर सप्रेया पीले रंग के दाग इत्यादि पड़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।शराब का सेवन न करें क्योंकि इससे शरीर का तापमान कम हो जाता है एवं हाइपोथर्मिया की संभावना बढ़ जाती है। शीतदंश से प्रभावित स्थान पर किसी प्रकार का मसाज या मालिश न करें एवं प्रभावित स्थान को सीधे आम के संपर्क में लाने से बचें। बल्कि शीतदंश प्रभावित अंग को गर्म सूती कपड़े से सिकाई कर गर्माहट दें। शीतदंश जैसी विभित्र बीमारियों के लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।
हाइपोथर्मिया के लक्षण होने पर-क्या करें-व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं और कपड़े बदले। व्यक्ति के शरीर को त्वचा से त्वचा के संपर्क, कंबल कपड़े, तौलिये या कंबल की सूखी परतों से गर्म करें। शरीर का तापमान बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय दें। शराब कदापि न दें। हालत ज्यादा बिगड़ने पर डॉक्टर का परामर्श लें।
क्या ना करें-लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचें। कंपकंपी को नजर अंदाज ना करें यह शरीर के तापमान कम होने का सर्वप्रथम संकेत होता है। शीतदंश से प्रभावित स्थान पर किसी प्रकार का मसाज या मालिश न करें एवं प्रभावित स्थान को सीधे आग के संपर्क में लाने में बचें। सन्कि शीतदंश प्रभावित अंग को गर्म सूती कपड़े से सिकाई कर गर्माहट दें। शराब का सेवन न करें क्योंकि इससे शरीर का तापमान कम हो जाता है एवं हाइपोथर्मिया की संभावना बढ़ जाती है। प्रभावित व्यक्ति को तब तक कोई पेय पदार्थ ना दें जब तक वह पूरे होश/सामान्य स्थिति में न हो।
कृषि-शीत लहर और पाला फसलों को बीमारी के कारण नुकसान पहुंचाता है जिसमें ब्लैक रस्ट, व्हाइट रस्ट, लेट ब्लाइट आदि शामिल हैं। शीत लहर अंकुरण विकास, फूल, उपज और भंडारण जीवन में कई तरह के शारीरिक व्यवधान का कारण बनती है।
क्या करें-बेहतर जड़ विकास को सक्रिय करने के लिए कॉपर ऑक्सी क्लोराइड, फॉस्फोरस और पोटेशियम के बोर्डो मिश्रण के साथ स्प्रे जैसे, ठंड की बीमारी चोट के लिए उपचारात्मक उपाय करें। शीत लहर के दौरान जहां भी संभव हो हल्की और लगातार सतही सिंचाई करें। हो सके स्प्रिंकलर सिंचाई का प्रयोग करें। ठंड प्रतिरोधी पौधो/फसलो/किस्मों की खेती करें। बागवानी और बागों में इंटरक्रांपिंग खेती का उपयोग करें। सब्जियो की निश्चित फसल जैसे टमाटर, बैंगन, सरसों अरहर जैसी लंबी फसल ठंडी हवाओं (ठंड से बचाव) के लिए आवश्यक आश्रय प्रदान करेगा। विकिरण अवशोषण में वृद्धि और सर्दियों के दौरान नर्सरी और युवा फलों के पौधों को प्लास्टिक स्ट्रा या सरकंडा पास आदि के छप्पर बनाकर गर्म तापीय व्यवस्था प्रदान करना। ऑर्गेनिक मल्चिंग (धर्मल इंसुलेशन के लिए) । विंड ब्रेक/शेल्टर बेल्ट लगाना (हवा की गति कम करने के लिए)।
पशुपालन-शीत लहर के दौरान पशुओं और पशुओं को भरण-पोषण के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। भैसों/मवेशियों के इष्टतम प्रजनन काल के दौरान तापमान में अत्यधिक भिन्नता पशुओं में प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है।
क्या करें-ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के समय जानवरों के आवास को चारों तरफ से ढक दें। पशुधन और कुक्कुट को ठंडे मौसम में अंदर रखकर सुरक्षित रखें और ढकें। पशुधन आहार अभ्यास और आहार योजकों में सुधार करना। उच्च गुणवत्ता वाले चारे या चरागाहों का उपयोग। वसा की खुराक प्रदान करें फीड सेवन, खिलाने और चबाने के व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करें। जलवायु स्मार्ट शेड का निर्माण जो सर्दियों के दौरान अधिकतम धूप और गर्मियों के दौरान कम विकिरण की अनुमति देता है। सर्दियों के दौरान जानवरों के नीचे कुछ बिस्तर सामग्री जैसे सूखी पुआल लगाएं। इन स्थितियों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त पशु नस्लों का चयन करना।
क्या न करें-शीत लहर के दौरान पशुओं को खुले में न बांधे/घूमाएं। शीत लहर के दौरान पशु मेले आयोजित न करें। पशुओं को ठंडा चारा और ठंडा पानी देने से बचें। पशु आश्रय में नमी और धुंआ इकट्ठा न होने दें। मृत पशुओं के शवों को पशुओं के नियमित चरने वाले मार्गों पर नहीं फेंकना चाहिए।
No comments:
Post a Comment