नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ. भाषाओं का संरक्षणा जरूरी महावीर विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी विभाग में राष्ट्रकवि सुब्रमण्यम भारती की ज्यन्ती पर भारतीय भाषा उत्सव अंतर्गत विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। कार्यक्रम का शुभारंभ महावीर विश्वविद्यालय की वाइस चेयरपर्सन शीतल कौशिक ने सुब्रमण्यम भारती के छायाचित्र पर दीप प्रज्जवलित करके किया।
बी॰ए एव एम॰ए के विद्यार्थियों ने विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हुये वहाँ के व्यंजनों की प्रदर्शनी में लिट्टी चोखा, इडली सांभर, साग व मक्के की रोटी, गाजर का हलवा आदि व्यंजनो को बहुत चाव से बनाया। कला विभाग की डीन प्रो॰(डॉ) सुमन बालियान ने बताया कि भाषा के लिहाज से भारत को काफी समृद्ध माना जाता है लेकिन भारत में आज 600 भाषाएँ खतरे में है। ये भाषाएँ आदिवासी और बन्जारा समुदाय के बीच बोली जाती है। यदि ये भविष् में विलुप्त हो गयी तो इनके साथ ही इनका इतिहास, इनकी रीति-रिवाज, इनम साहित्य, इनके गीत संगीत, इनकी परम्पराएँ और इनकी संस्कृति सब कुछ विलुप्त हो जाएगी। इसलिये भाषाओं के संरक्षण के लिये अब गम्भीरता से सोचने की जरूरत है।
इसके साथ ही मेरी भाषा मेरे हस्ताक्षर अभियान के अंतर्गत सभी ने अपन हस्ताक्षर करते हुये अपनी भाषा में संवाद करने का संकल्प लिया। डॉ. ज्योति सिंह सहा प्रा. शिक्षा ने भाषा से सम्बन्धित कविता पाठ किया। छात्र प्रदीप ने लोकगीत व छात्रा सिमरन ने लोकनृत्य की प्रस्तुति दी।छात्रा कशिश, मानसी, अब्दुल, सरोज, श्वेता, स्वाति आशीष व विदुषी आदि छात्रों -' ने भाषण, व कविता पाठ किया । मोनू सिद्ध ने किया । डीन कृषि विभाग प्रो॰आलोक देशवाल, डॉ मोनू , संजय यादव, विशाखा, अंबिका आदि का कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग रहा।
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