नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ: हेल्थ चेक डायग्नोस्टिक्स के चिकित्सक अनिल नौसरान ने बताया कि अंडा क्रूरता एवं अमानवीय कृत्यो का एक नमूना है। संडे हो या मंडे, कभी ना खाओ अंडे। हमें क्रूरता-मुक्त आहार का सेवन करना चाहिए।
क्रूरता से जुड़ी कुछ सामान्य प्रथाएँ निम्नलिखित हैं:
बैटरी केजेस (Battery Cages):.पारंपरिक अंडा उत्पादन में मुर्गियों को छोटे, अधिक भीड़-भाड़ वाले पिंजरों में रखा जाता है, जिन्हें बैटरी केजेस कहा जाता है। ये पिंजरे इतने छोटे होते हैं कि मुर्गियाँ अपने पंख नहीं फैला सकतीं, चल नहीं सकतीं, या प्राकृतिक व्यवहारों में भाग नहीं ले सकतीं। जगह की कमी शारीरिक और मानसिक कष्ट का कारण बन सकती है।
बिकिंग (De-beaking): कुछ फार्म मुर्गियों को एक-दूसरे को नोंचने से रोकने के लिए उनके चोंच का कुछ हिस्सा काट देते हैं। यह दर्दनाक प्रक्रिया अक्सर बिना एनेस्थीसिया के की जाती है, जिससे स्थायी दर्द और असुविधा होती है।
मोल्टिंग (Forced Molting): कुछ फार्म अंडा उत्पादन बढ़ाने के लिए मुर्गियों को अनावश्यक रूप से मोल्टिंग (पंखों का गिरना) करवाते हैं, इसके लिए कभी-कभी उन्हें भूखा रखा जाता है या आहार में कमी की जाती है। यह अभ्यास मुर्गियों में तनाव, वजन घटने और कमजोर इम्यून सिस्टम का कारण बन सकता है।
पुरुष बत्तखों का वध (Culling of Male Chicks): अंडा उद्योग में, पुरुष बत्तखें अंडा उत्पादन के लिए उपयोगी नहीं होतीं, और इन्हें हैचिंग के तुरंत बाद मारा जाता है, आमतौर पर गैसिंग या पीसने जैसी विधियों से, जो अत्यधिक तनावपूर्ण होती हैं।
बाहर जाने का अभाव (Lack of Access to Outdoors): कई अंडा देने वाली मुर्गियों को अंदर ही रखा जाता है, जहां उन्हें प्राकृतिक रोशनी या बाहरी स्थान का कोई आर्थिक लाभ नहीं होता। इससे उनका स्वाभाविक व्यवहार जैसे धूल में नहाना, भोजन खोजना या अन्य मुर्गियों के साथ मिलना मुश्किल हो जाता है।
स्वास्थ्य समस्याएँ (Health Issues): फैक्ट्री फार्मों में मुर्गियों की उच्च घनत्व के कारण, बीमारियों का फैलना तेज़ी से हो सकता है। इन भीड़-भाड़ वाली स्थितियों में मुर्गियों को बीमारी से बचाने के लिए अक्सर एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, जिससे एंटीबायोटिक प्रतिरोध का खतरा बढ़ सकता है।
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