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Monday, December 16, 2024

समस्या समाज, विज्ञान या किसी विशेष क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होनी चाहिए: डॉक्टर विवेक कुमार

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ. अनुसंधान समस्या का चयन एवं निरूपण अनुसंधान प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है। यह अनुसंधान के उद्देश्य, दिशा और परिणामों को निर्धारित करता है। अनुसंधान समस्या का सही चयन एवं सटीक निरूपण अनुसंधान को उपयोगी और प्रभावी बनाता है। इसे निम्नलिखित चरणों में समझा जा सकता है। अनुसंधान समस्या का चयन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। समस्या समाज, विज्ञान या किसी विशेष क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होनी चाहिए। उदाहरण: यदि शिक्षा क्षेत्र में शोध किया जा रहा है, तो यह जानना जरूरी है कि कौन-सी समस्या शिक्षण और अधिगम को प्रभावित कर रही है। यह बात विधि अध्ययन संस्थान चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में एलएलएम के छात्र/ छात्राओं के लिए अनुसंधान की समस्या एवं निरूपण विषय पर आयोजित कार्यशाला के दौरान विधि अध्ययन संस्थान के समन्वयक डॉक्टर विवेक कुमार ने कही।

उन्होंने कहा कि समस्या वह होनी चाहिए जिसमें शोधकर्ता की व्यक्तिगत रुचि हो, ताकि शोध में निरंतरता बनी रहे। समस्या को हल करने के लिए आवश्यक सामग्री, उपकरण, समय और वित्तीय संसाधन उपलब्ध होने चाहिए। समस्या नई होनी चाहिए या उसमें पहले के शोध को आगे बढ़ाने की क्षमता हो। समस्या को इतना व्यापक नहीं होना चाहिए कि उसे समय और संसाधनों के भीतर हल न किया जा सके। अनुसंधान समस्या का निरूपण करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। अनुसंधान समस्या को सरल और स्पष्ट शब्दों में प्रस्तुत करना चाहिए। यह बताना चाहिए कि इस समस्या को हल करने से क्या उद्देश्य पूरा होगा। उदाहरण, क्या स्मार्ट कक्षाओं का उपयोग छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि को बेहतर बनाता है। समस्या से जुड़े प्रमुख प्रश्नों को सूचीबद्ध करें। जैसे क्या स्मार्ट कक्षाएं छात्रों के ध्यान केंद्रित करने में मदद करती हैं। स्मार्ट कक्षाओं का प्रभाव कौन-से विषयों पर अधिक प्रभावी है।

समस्या का क्षेत्र, समयावधि, और लक्षित समूह को स्पष्ट करना। उन्होंने कहा कि यदि संभव हो, तो समस्या से संबंधित एक परिकल्पना प्रस्तुत करें। जैसे स्मार्ट कक्षाओं का उपयोग छात्रों की परीक्षा में प्रदर्शन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह स्पष्ट करें कि इस समस्या का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है और इसके समाधान से क्या लाभ होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की उपलब्धता और ऑनलाइन शिक्षा के प्रभाव। शोध का विधि के क्षेत्र में महत्व बताते हुये कहा कि नये कानूनों का विधायिका द्वारा समाज कि आवश्यकतानुसार निर्माण किया जाता है। समाज में फैली कुरीतियों को रोका जाता है। विधि कि विद्यार्थियों को विधिक एवं सामाजिक सुधार के लिये शोध विषय का चयन करना चाहिये। ग्रामीण छात्रों की ऑनलाइन शिक्षा में भागीदारी और उसकी गुणवत्ता का अध्ययन। अनुसंधान समस्या का चयन और निरूपण स्पष्ट, व्यवस्थित और उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए। इससे शोध का परिणाम अधिक विश्वसनीय और उपयोगी होता है। 
कार्यशाला में डा. सुदेशना, डा. कुसुमावति, आशीष कौशिक , डा. विकास कुमार, डा. अपेक्षा चौधरी एवं डा. सुशील कुमार शर्मा ने भी अपने विचार रखें। इस अवसर पर संस्थान के छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।

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