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Sunday, January 12, 2025

स्त्रियां जन्म से ही कहानीकार होती हैं: डॉ. आशुतोष दुबे


सपना साहू 
नित्य संदेश, इंदौर। डॉ. प्रेमकुमारी नाहटा कहानी प्रतियोगिता समारोह का आयोजन वामा साहित्य मंच के बैनर तले श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति में किया गया। इसमें देश भर से प्राप्त 108 प्रविष्टियों में से श्रेष्ठ कहानियों को चयनित कर पुरस्कृत किया गया। 

कहानी प्रतियोगिता के द्वितीय वर्ष पर आयोजित समारोह में डॉ. प्रेम कुमारी नाहटा ने कहानी प्रतियोगिता की उपयोगिता और आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मोबाइल जबसे हाथ में आया है तब से हम लिखना ही भूल गए हैं। पत्र लिखना हमने कब से बंद कर दिया है। आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस के प्रवेश ने तो हड़कंप मचा दिया है। मेडिकल के क्षेत्र में तो यह स्वागत योग्य है लेकिन साहित्य के क्षेत्र में यह मौलिक रचनात्मकता पर डाका डाल रहा है, ऐसे में संवेदनशीलता व मौलिक साहित्यवर्धन के क्षेत्र में टिका रहना कठिन है। अतः लेखकीय रचनात्मकता एवं प्रतिभा को जीवित रखने व वृद्धि हेतु इस तरह की प्रतियोगिता का होना महत्वपूर्ण है। 

इस अवसर पर प्रख्यात कवि डॉ. आशुतोष दुबे ने कहा कि स्त्रियां जन्म से ही कहानी कार होती हैं। उनका यह कौशल रचना कार के रूप में और मुखर हो जाता है। कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत उद्बोधन वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष ज्योति जैन ने दिया। कहानी प्रतियोगिता की प्रभारी पद्मा राजेन्द्र ने कहानियों की चयन प्रक्रिया पर अपनी राय व्यक्त की। 
कहानी प्रतियोगिता में जयपुर की सोनू यशराज को प्रथम 10,000 ₹, बीकानेर की आशा शर्मा को द्वितीय 5000 ₹, भोपाल की शैली बक्षी खड़कोतकर और इंदौर की गरिमा जोशी पंत को तृतीय 3000 ₹ स्थान प्राप्त हुआ। विशेष पुरस्कार 1000 ₹ जयपुर की शिवानी शर्मा को मिला। 

संचालन स्मृति आदित्य, सरस्वती वंदना दिव्या मंडलोई, अतिथियों का स्वागत सिद्धांत नाहटा, तेजस्वी मेहता और चेतना भाटी ने तथा आभार मुक्ता जैन ने व्यक्त किया। इस अवसर पर निर्णायक सीमा व्यास सहित शहर के कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

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