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Saturday, January 18, 2025

डॉ. मेराजुद्दीन के जाने से पैदा हुए खालीपन को भरना बहुत मुश्किल है: प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ: आज यह बहुत अफसोस की बात है कि मेरठ के दो लाल अब हमारे बीच नहीं रहे। वे दोनों हमेशा अपने काम के लिए याद किए जाएंगे। डॉ. मेराजुद्दीन अहमद ने हर मौके पर उर्दू विभाग का साथ दिया। वे न केवल एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ थे वह एक बुद्धिमान व्यक्ति थे, लेकिन उन्होंने हमेशा जरूरतमंदों की मदद की। उन्हें साहित्य से इतना लगाव था कि वे आए दिन साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन करते थे। महान लेखकों और कवियों की मेजबानी करने में वे हमेशा सबसे आगे रहते थे। उन्होंने मेरठ और उसके आस-पास के इलाकों में साहित्यिक गोष्ठियों को खूब बढ़ावा दिया। डॉ. मेराजुद्दीन की खाली जगह को भरना बहुत कठिन है। 

यह कहना था प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी का, जो उर्दू विभाग में डॉ. मेराजुद्दीन अहमद [पूर्व मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार] और राजनेता व शिक्षाविद् स्वर्गीय तारा चंद शास्त्री की याद में आयोजित शोक सभा में अपना वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रचार-प्रसार में तारा चंद शास्त्री की महत्वपूर्ण भूमिका रही। खासकर लड़कियों की शिक्षा के लिए, और वह भी धर्म या राष्ट्रीयता के भेदभाव के बिना। वे हिंदू-मुस्लिम एकता के अग्रदूत थे। उन्होंने सभी को शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया। दोनों हस्तियों के नाम पर पुरस्कार जारी किए जाने चाहिए।
 
कार्यक्रम की शुरुआत बी.ए. ऑनर्स के छात्र मुहम्मद तालिब द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। स्वर्गीय तारा चंद शास्त्री का परिचय डॉ. अलका वशिष्ठ ने और डॉ. मेराजुद्दीन अहमद का परिचय डॉ. शादाब अलीम ने कराया। संचालन डॉ. आसिफ अली ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. इरशाद स्यानवी ने किया। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए माइनॉरिटी एजुकेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष आफाक अहमद खान ने कहा कि मेरठ शहर ने दो महान विभूतियों को खो दिया है। डॉ. मेराज और तारा चंद शास्त्री ने राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षिक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया। डॉ . मेराजुद्दीन एक महान राजनीतिज्ञ, परोपकारी और साहित्यकार थे। उन्होंने साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए महान सेवाएं दीं। इसी तरह तारा चंद शास्त्री ने भी मेरठ में विभिन्न शिक्षण संस्थानों की स्थापना करके शिक्षा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मैं दोनों व्यक्तित्वों के प्रति अपनी गहरी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

जीशान खान ने कहा कि दोनों व्यक्तित्व के जाने से हुई क्षति अपूरणीय हैं। डॉ. मेराजुद्दीन ने अपने परिवार की परंपरा को दर्शाया। लोग बहुत जल्दी ही उसके नैतिक मूल्यों से प्रभावित हो जाते थे। लोगों की भलाई करना ही उनका कर्तव्य था। तारा चंद शास्त्री का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही था। वे एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे। उनके कामों में सर सैयद की झलक दिखती है। उन्होंने गरीब बच्चों की शिक्षा के मामले में भी काफी मदद की। दोनों शख्सियतों को उनकी सेवाओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

प्रख्यात नाटककार एवं निर्देशक भारत भूषण शर्मा ने कहा कि दोनों विभूतियों का निधन शहर के लिए बड़ी क्षति है। ये व्यक्तित्व सदैव ज्ञान और साहित्य से जुड़े रहे हैं। मेराज साहब बहुत ही सरल और मिलनसार व्यक्ति थे। हमेशा बड़ी ईमानदारी से मिलते थे। मैं उन दोनों को हृदय की गहराइयों से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

डॉ. मेराजुद्दीन के भतीजे मुहम्मद नबील ने कहा कि मैं उनका बेटा हूं। वे जिस भी क्षेत्र से जुड़े, उसमें उन्होंने अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। वे गुलदस्ते में एक सुंदर फूल थे। हम उनके काम को जारी रखेंगे और अपने दादाजी के नाम पर एक पुरस्कार भी जारी करेंगे।

मेराजुद्दीन के बेटे मुहम्मद बदर ने कहा कि राजनीतिक व्यस्तताओं के बावजूद मेरे पिता का कला और संस्कृति से गहरा जुड़ाव सराहनीय था। वे कहते थे कि यह सभ्यता हमारी पहचान है, इसे कभी मत भूलना। अगर मेरी कलम किसी की मदद करे तो इससे बेहतर क्या हो सकता है? पापा बहुत ही सरल स्वभाव के और परोपकारी व्यक्ति थे। मैं उनके कार्यों और सपनों को पूरा करने का प्रयास करूंगा।

मेरठ शहर विधायक रफीक अंसारी ने कहा कि दो महान विभूतियां हमारे बीच से चली गईं। डॉ. मेराज और ताराचंद शास्त्री दोनों ही धर्मनिरपेक्ष स्वभाव के थे और दोनों ही हिंदू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे। मैं प्रार्थना करता हूं कि उनके बच्चे उनके पदचिन्हों पर चलें। विभिन्न पार्टियों से जुड़े होने के बावजूद उन्होंने हमेशा सभी के साथ रिश्ते बनाए रखे।
पूर्व आईएएस प्रभात कुमार राय ने कहा कि डॉ. मेराज और सिराज से हमारे करीबी संबंध रहे हैं। दोनों मुझसे छोटे थे, उनके निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। आजकल ऐसे परिवार बहुत दुर्लभ हैं। आज जब समाज में अंधकार फैल रहा है, ऐसे समय में मेराज साहब जैसे राजनीतिक नेताओं की सख्त जरूरत है। अगर हम आज मिराज और सिराज को अपने दिलों में जिंदा रखना चाहते हैं तो हमें उनकी विरासत को आगे बढ़ाना होगा।

कार्यक्रम में डॉ. अरशद इकबाल, डॉ. ईश्वर चंद गंभीर, स्वाति शर्मा, एडवोकेट इरशाद बेताब, दीपक शर्मा, सैयद रेहानुद्दीन और प्रीति गुप्ता आदि ने भी विचार रखे। इस अवसर पर इंजी. रिफत जमाली, बी.बी शर्मा, शकील सैफी, मुहम्मद ईसा, नुजहत अख्तर, सईद अहमद सहारनपुरी, मुहम्मद शमशाद, फरजाना बिन्त आसिम, विनीत गोयल, संदीप गोयल, हिमांशु, सचिन बंसल, नगर अध्यक्ष आदि मौजूद रहे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे।

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