नित्य संदेश ब्यूरो
मुजफ्फरनगर। सुप्रसिद्ध आलिम धर्मगुरू आॅल इण्डिया शिया पर्सनल बोर्ड के सैक्रेट्री मौलाना सैयद फसीह हैदर जै़दी की वालिदा मरहूमा सैयदा ताजशाही बेगम के चेहलुम की मजलिस का दतियाना स्थित इमाम बारगाह में आयोजन किया गया, जिसमें उप्र, उत्तराखण्ड और आस-पास से आये हर वर्ग के हजारो की संख्या में शरीक अकीदतमंदों ने उन्हे पुरसा दिया।
मजलिस के आगाज़ में सैयद अली रज़ा काज़मी, सैयद अली मेहदी, सैयद मज़हर हसनैन मज्जन की सौज़ख्वानी से किया गया। मेरठ से आये सैयद अली हैदर रिज़वी के संचालन में मौलााना मेराज मेहंदी मंगलौरी, खुरर्शीद मुजफ्फरनगरी, मौलाना अली अब्बास रिज़वी, मौलाना जैगम अब्बास लखनवी, साकिब आब्दी, मौलाना मासूम रजा, जामिन रज़ा, चांदी फैजी, खुर्रम जानसठी, प्रो. अहमद मियां जै़दी और एन0डी0 टी0वी0 के अली अब्बास नकवी सहित अनेको सुप्रसिद्ध शायरों ने सलाम-ए-अकीदत और ताजियी कलाम पेश किया।
इस मौके पर आॅल इण्डिया शिया पर्सनल बोर्ड, आॅल इण्डिया इमाम संगठन, किसान यूनियन, मौहर्रम कमेटी मेरठ, उ0प्र0 उर्दू टीचर्स एसोसिएशन अली मिशन सोसायटी आॅफ इण्डिया मदारिस के प्रबन्धकों, वरिष्ठ पत्रकार, असद रज़ा, पूर्व आई0ए0एस0 तुलसी गौड़ सहित आये ताजियती पैगामात पढ़कर सुनाये गये। इसके बाद गमगीन माहौल में मौलाना सैयद फसीह हैदर जै़दी ने अपनी जज्बाती और नसीहती तकरीर में मां बाप की अहमियत बयां करते हुये कहा कि मां बाप एक सायादार दरख्त की तरह होते हैं, जिसके साये में नस्ले परवान चढ़ती हैं, लेकिन जब ये दरख्त अपनी उम्र पूरी करने के बाद खत्म हो जाता है तब उसकी अहमियत का अहसास होता है।
उन्होने कहा कि मैं इस मजलिस के जरिये नई नस्लों व समाज को यह पैगाम दे रहा हूं कि खुदा के वास्ते अपने मां बाप से ‘‘उफ’’ न करना, कभी बुलन्द आवाज से मत बोलना, वरना उनके माथे की एक शिकन से भी तुम्हारी तरक्कीयां रूक जायेंगी और आखरत में भी पशेमानी होगी। उन्होने अपनी अश्कबार आंखों से हजरत इमाम मूसा काजिम की शहादत बयां करते हुये कहा कि हजरत इमाम हुसैन और शौहदाये कर्बला की शहदत और अहलेबैत के मसाइब हमें अपने गमों पर सबर करने का पैगाम देते हैं।
मजलिस का संचालन कर रहे अली हैदर रिज़वी ने कहा कि मरहूमा ताज शाही बेगम का किसी शाही घराने से ताअल्लूक नहीं था, लेकिन उन्होने बच्चो को दर्स-ए-कुरान देकर और 95वे साल की जिन्दगी में अपने बड़े खानदान को जोड़े रखा और इस दुनिया से रूखसत होने के बाद भी अपने चेहलुम की मजलिस के जरिये पूरे समाज को एकजुटता का पैगाम देकर चली गयीं। वो दतियाना का ताज थीं और मौलाना फसीह हैदर जै़दी शहंशाह-ए-खिताबत है जो आफताब बनकर अपनी तकरीरों से समाज को रोशन करते रहेगें।
मजलिस के समापन पर मौलाना फसीह हैदर और उनके भाईयों को सईद-उल-जमां पूर्व गृहमंत्री उ0प्र0 ईसा रजा, वरिष्ट एडवोकेट हुजूर मेहदी, सैयद बाकर जैदी, मौलाना अतहर काज़मी, वरिष्ठ पत्रकार वसीह हैदर जै़दी, हिलाल मेहदी, प्रशासनिक अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में शरीक हर वर्ग के अकीदतमंदों ने नम आंखों से पुरसा दिया।
इस मौके पर मरहूम ताजशाही बेगम की याद में ‘‘बेटी ही मां है’’ के उन्वान से किताब के प्रकाशन करने का फैसला लिया गया। इस मजलिस को मेरठ के हुसैनी इंकलाब चैनल के निदेशक हैदर अब्बास रिज़वी व टीम ने लाईव टेलीकास्ट किया।
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