Breaking

Your Ads Here

Friday, January 24, 2025

प्राचीन भारत में राज्य-शिल्प की अवधारणाएँ, सिद्धांत और व्यवहार पर अतिथि व्याख्यान


अनम शेरवानी 
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज विभाग द्वारा प्राचीन भारत में राज्य-शिल्प की अवधारणाएँ, सिद्धांत और व्यवहार विषय पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया।

मुख्य वक्ता डॉ. महीपाल सिंह माहुर (सहायक प्रोफेसर, इतिहास विभाग, इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ) रहे। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. दुर्वेश कुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई। विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने स्वागत भाषण दिया और इस व्याख्यान के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि प्राचीन भारत की राज्य-शिल्प की अवधारणाएँ न केवल हमारे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव को दर्शाती हैं, बल्कि आधुनिक समय में भी शासन और प्रशासन के लिए प्रासंगिक हैं।

मुख्य वक्ता डॉ. महीपाल सिंह माहुर ने अपने व्याख्यान में प्राचीन भारतीय राज्य-शिल्प की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने महाभारत, रामायण, अर्थशास्त्र और मनुस्मृति जैसे प्राचीन ग्रंथों का संदर्भ देते हुए राज्य के सिद्धांत और व्यावहारिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि चाणक्य द्वारा प्रतिपादित नीति और कौटिल्य के अर्थशास्त्र ने न केवल तत्कालीन समय में बल्कि आधुनिक युग में भी राजनीति और कूटनीति के क्षेत्र में गहरा प्रभाव डाला है।

डॉ. माहुर ने राज्य-शिल्प के अंतर्गत शक्ति संतुलन, धर्म, न्याय और प्रशासन के सिद्धांतों की महत्ता को भी समझाया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि प्राचीन भारत में शासन का मुख्य उद्देश्य जनता का कल्याण और न्यायपूर्ण समाज की स्थापना करना था। उन्होंने राज्य के राजा और मंत्रिपरिषद की भूमिकाओं का भी उल्लेख किया और बताया कि किस प्रकार से यह भूमिकाएँ एक संगठित और स्थिर राज्य के निर्माण में सहायक थीं।

कार्यक्रम में उपस्थित अन्य शिक्षकों में डॉ. अमृता चौधरी, डॉ. नियति गर्ग, डॉ. लवली और डॉ. दिनेश कुमार शामिल थे। उन्होंने भी व्याख्यान के बाद अपने विचार व्यक्त किए और छात्रों को इस विषय में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।

छात्रों में हुज़ैफा रिज़वी, शिवानी, अंशु कुमार, लैबा जफर और सिया शर्मा ने इस कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी दिखाई। छात्रों ने व्याख्यान के दौरान पूछे गए प्रश्नों और चर्चा में अपनी रुचि प्रकट की। उन्होंने डॉ. माजूर के विचारों को बहुत प्रेरणादायक बताया और इस विषय पर अधिक अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त की।

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here