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Sunday, February 2, 2025

वैश्विक दायित्वों से भाग रहे डोनाल्ड ट्रंप

 

प्रभात कुमार राय
नित्य संदेश डेस्क। डोनाल्ड ट्रंप दूसरी दफा अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर विराजमान हो चुके हैं। ट्रंप ने अमेरिका के 47 वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण की। डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में अनेक राष्ट्रों के नेतागण, विभिन्न देशों से पधारे बड़े-बड़े खरबपती कारोबारी, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, जॉर्ज बुश, बिल क्लिंटन और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर आदि विद्यमान रहे। शपथ समारोह के तत्पश्चात डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति की हैसियत से अपनी पहली तकरीर अंजाम दी। अपनी अपनी तकरीर में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रशासन की नीतियों का ऐलान किया। तकरीर में बड़े विस्तार के साथ चर्चा की नीतिगत घोषणाओं के तहत डोनाल्ड ट्रंप की हुकूमत का कैसा आचरण होगा। 

राष्ट्रपति ट्रंप ने बड़े जोश ओ खरोश से फरमाया कि अमेरिका का स्वर्ण युग अब प्रारंभ हो रहा है। अमेरिका आने वाले दौर में विश्व पटल पर एक अत्यंत समृद्ध और सम्मानित राष्ट्र के तौर पर निर्मित होगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी तकरीर में ऐलान किया कि वह सदैव से ही अमेरिका को प्राथमिकता प्रदान करने पर आमादा रहे हैं और आगे भी प्रबल प्राथमिकता प्रदान करते रहेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर आसीन होते ही ट्रंप द्वारा तकरीबन 100 कार्यकारी आदेशों पर दस्तखत किए। इन प्रशासनिक आदेशों के तहत अमेरिकन राष्ट्रपति द्वारा जो सबसे विशिष्ट हुक्मनामे जारी किए हैं, वो अमेरिका की इमीग्रेशन, एनर्जी, इकोनामी और जेंडर से जुड़ी जटिल समस्याओं पर जारी किए गए हैं। अमेरिका - मेक्सिको सरहद पर डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नेशनल इमरजेंसी आयद करने का बाकायदा ऐलान कर दिया गया। डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी उद्घोषणा में कहा कि अमेरिका में अवैध प्रवेश पर अत्यंत सख्ती के साथ प्रतिबंध आयद कर दिया जाएगा। ट्रंप हुकुमत द्वारा अमेरिका में अवैध तौर पर निवास कर रहे हुए लाखों अप्रवासियों को उनके वतन वापस भेजने की कानूनी प्रक्रिया का तत्काल आगाज कर दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में अवैध तौर पर बसने वालों में मेक्सिको मूल के अप्रवासियों की तादाद सबसे अधिक है। इसके बाद साल्वाडोर के अप्रवासियों का नाम आता है और फिर भारत के अप्रवासियों का नाम लिया जाता है। 

उल्लेखनीय है कि अमेरिकन हुकूमत के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में रहने वाले तकरीबन पचास लाख से अधिक भारतीयों के मध्य लगभग सात लाख भारतवासी अमेरिका में अवैध तौर पर निवास कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने अमेरिका में प्रवासियों के जन्म लेने वाले बच्चों को भी जन्मजात नागरिकता प्रदान करने वाले कानून खत्म करने का ऐलान किया है। अब २० फरवरी २०२५ के बाद प्रवासियों के घर जन्म लेने वाले बच्चों पर राष्ट्रपति ट्रंप का हुक्म लागू हो जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप की इमीग्रेशन पॉलिसी का जबरदस्त तौर पर प्रतिकूल प्रभाव भारतवासियों पर आयद होने वाला है। पहले ही बाइडन प्रशासन द्वारा तकरीबन बीस हजार भारतीय अप्रवासियों को अमेरिका से निष्कासित किए जाने का आदेश जारी कर दिया है। भारत से कारपोरेट सेक्टर में नौकरियों के लिए अमेरिका में जाने वाले भारतीयों के लिए जारी किए जा रहे एच-१बी अमेरिकन वीजा पर भी अभी तकरार जारी है। एच-1बी वीजा वस्तुत एक वर्क परमिट है, जो कि अमेरिका सरकार द्वारा केवल 3 वर्ष के लिए प्रदान किया जाता है और जिसकी अवधि को 6 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। फिलहाल राष्ट्रपति ट्रंप ने एच-1बी वीजा प्रदान करने के पक्ष में ही अपनी राय पेश की है और कहा है कि अमेरिका को अत्यधिक योग्य शिक्षित वैज्ञानिक और इंजीनियर चाहिए। अमेरिका के कॉरपोरेटर सेक्टर में कार्यरत प्रवासियों में भारतीयों और चीनियों की संख्या सबसे अधिक है। 

इसी बीच एक अद्भुत घटना प्रकाश में आई। शपथ ग्रहण करने के पश्चात अमेरिकन राष्ट्रपति परंपरा अनुसार वाशिंगटन के एक प्रोटेस्टेंट चर्च की प्रार्थना सभा में शिरकत करने के लिए जाया करते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप इस प्रार्थना सभा में गए तो चर्च में विद्यमान महिला बिशप मारियन एडगर द्वारा अप्रवासियों के प्रति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की उनके समक्ष ही कड़ी आलोचना की गई। बिशप मारियन ऐडगर के करुणा और दया से सराबोर शानदार उद्गगार सुनकर राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सहयोगी हतप्रभ रह गए। बिशप मारियन ऐडगर ने कहा कि आपकी नीतियों से डरे हुए लोग चाहे बाहर से आए हैं, चाहे अमेरिका के नागरिक ना भी हैं और उनके पास पूरे कागजात भी नहीं है। किंतु वे सभी कामकाजी मेहनतकश इंसान है। यदि आप स्वयं पर ईश्वर का हाथ महसूस करते हैं तो भगवान की खातिर उन लोगों को मत सताइए। उन्होंने आगे कहा अमेरिका में बसने वाले सभी अप्रवासी मेहनतकश अपराधी नहीं है, अमेरिका के निर्माण में अप्रवासियों अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया हैं। उनके प्रति आपका सख्त व्यवहार अमानवीय होगा।

सारी दुनिया जानती है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद मेक्सिको के मेहनतकशों को पुनर्निर्माण के कार्य के लिए अमेरिका में बकायदा आमंत्रित किया गया था। आज भी अमेरिका के विशाल एग्रीकल्चर फार्म हाउसों में खेतीबाड़ी का सारा कार्य मेक्सिको से अमेरिका आए हुए अप्रवासी मजदूर ही संभालते रहे हैं। अपने विगत कार्यकाल में भी डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको और अमेरिका के मध्य बड़ी और लंबी दीवार निर्मित करने का ऐलान किया था, किंतु उनके पूरे कार्यकाल में केवल सात किलोमीटर लंबी दीवार ही निर्मित की जा सकी थी, जबकि मेक्सिको और अमेरिका के मध्य तीन हजार किलोमीटर से भी अधिक लंबी सरहद विद्यमान है। राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने भाषण में पूर्व राष्ट्रपति बाइडन प्रशासन द्वारा अमेरिका में विद्यमान अप्रवासी संकट का निदान करने के तौर तरीकों की भी कटु आलोचना की है। 

राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा अमेरिकी टैरिफ पर भी अपना नजरिया स्पष्ट किया गया। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह दूसरे मुल्कों से आयात किए जाने वाले माल पर कहीं अधिक टैरिफ और टैक्स आयद करके अपने अमेरिका को समृद्ध बनाएंगे। अमेरिका की आर्थिक तरक्की को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप का नजरिया एकदम संकीर्ण और अंधराष्ट्रवादी रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन से अमेरिका को बाहर निकाल कर राष्ट्रपति ट्रंप ने सिद्ध कर दिया है कि उनकी विश्व स्वास्थ्य कल्याण में कदापि कोई रुचि नहीं रही है। डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका 2015 में ही पर्यावरण पर अंजाम दी गई अंतरराष्ट्रीय पेरिस संधि से बाहर आ चुका था। जो बिडेन ने फिर से पेरिस संधि में शामिल होना का निर्णय लिया था। पर्यावरण संरक्षण में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कभी कोई पहल नहीं रही। सर्व विदित है कि अमेरिका विश्व में कार्बन उत्सर्जन करने वाला सबसे अग्रणी देश है। अमेरिकी कारोबार को अति उन्नत करने की ललक और लिप्सा में वैश्विक पर्यावरण को नष्ट करने में डोनाल्ड ट्रंप सबसे ताकतवर राष्ट्रपति साबित होंगे। वह तो केवल अमेरिका की आर्थिक तरक्की में ही खुद को झोंक देना चाहते हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप के पहले कार्यकाल में चीन और अमेरिका के मध्य ट्रेड वार शुरू हुई थी। किंतु बाइडन के प्रशासनिक काल में यह ट्रेड वार काफी कुछ शिथिल पड़ गई थी। राष्ट्रपति पद पर आसीन होते ही ट्रंप ने फिर से चीन पर जुबानी हमला बोल दिया है, उन्होंने कहा कि चीन को पनामा नहर एक तोहफा में दे दी गई है। उन्होंने दावा किया चीन द्वारा पनामा नहर को ऑपरेट किया जा रहा है। अमेरिका पनामा नहर को वापस छीन लेगा। पनामा के राष्ट्रपति जास राहुल मुलिनो ने इस बात से साफ इंकार किया है कि किसी भी तरह से पनामा नहर पर चीन का नियंत्रण स्थापित हो गया है। उन्होंने कहा कि पनामा नहर का संचालन एक प्राधिकरण द्वारा किया जा रहा है।

आमतौर पर कहा जाता है कि व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप गहरे राजनीतिक दोस्त हैं, ठीक उसी तरह जैसे कहा जाता था कि ट्रंप और नरेंद्र मोदी भी बड़े गहरे दोस्त हैं। अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक मंच पर राष्ट्र के हित ही सदैव सर्वोपरि होते हैं, राष्टाध्यक्षों की व्यक्तिगत दोस्ती अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अधिक महत्व नहीं रखती। शपथ ग्रहण समारोह में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रण ना देकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आमंत्रण देना, इस बात का कटु कूटनीतिक प्रमाण है कि ट्रंप ने भारत से अधिक चीन को महत्व प्रदान किया है। राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पुतिन को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर वह रूस-यूक्रेन में युद्ध को समाप्त नहीं करते हैं तो अमेरिका द्वारा रूस पर अत्यधिक टैरिफ और अत्यंत सख्त आर्थिक प्रतिबंध आयद कर दिए जाएंगे। राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने दावा पेश किया था कि वह सत्तासीन होते ही सिर्फ एक दिन में ही रूस-यूक्रेन के मध्य जारी युद्ध को समाप्त करा देंगे। अब देखना यह कि बहुत मिथ्या बड़बोले राष्ट्रपति डोनाल्ड अपने चुनावी दावे को कितना कुछ पूरा कर पाते हैं। अपने चुनावी अभियान के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी दावा किया था कि वह गाजा में युद्ध विराम स्थापित कर देंगे। उनका यह दावा तो साकार हो गया है। अपना एक विशेष दूत इसराइल भेज कर डोनाल्ड ट्रंप ने इसराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को गाजा में युद्ध विराम लागू करने और बंधकों की रिहाई करने के लिए के लिए राजी कर लिया है। यूक्रेन-रूस युद्ध को आगामी कुछ महीनो में अपने कूटनीतिक प्रयासों द्वारा डोनाल्ड ट्रंप रुकवाने की कोशिश अंजाम दे सकते हैं। फिलहाल तो कूटनीतिक धमकियों देकर ही राष्ट्रपति पुतिन को युद्ध विराम के लिए राजी करने का प्रयास कर रहे हैं।

अपने दूसरे कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप का नजरिया और व्यवहार भारत के प्रति कैसा रहने वाला है, यह तो भविष्य ही बताएगा। ब्रिक्स देशों के विरुद्ध जिस तरह के बयान डोनाल्ड ट्रंप ने दिए हैं कि अमेरिका द्वारा भविष्य में ब्रिक्स देशों से आयातित होने वाले माल पर 100% का टैरिफ आयद किया जाएगा। राष्ट्रपति ट्रंप के इस बयान को यदि कानूनन लागू किया गया तो भारत का व्यापार प्रभावित होने वाला है, क्योंकि भारत ब्रिक्स संगठन का का एक प्रमुख राष्ट्र है। फिलहाल अमेरिकी-भारत व्यापार में व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है। हिंद और पेसिफिक क्षेत्र में चीन के विस्तारवाद लगाम आयद करने के लिए और ताइवान के संरक्षण के लिए अमेरिका के लिए भारत एक विवशता है। क्वॉड रणनीतिक मोर्चे पर भारत और अमेरिका एक ही मंच पर है। रूस के साथ प्रगाढ़ संबंधों के चलते भले ही राष्ट्रपति ट्रंप भारत को पसंद ना करें, लेकिन भारत की उपेक्षा कदाप नहीं कर सकेंगे।

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