अर्जुन देशवाल
नित्य संदेश, बहसूमा। ध्वनि प्रदूषण पर शासन प्रशासन के नियंत्रण के दावे की डीजे संचालक हवा निकाल रहे हैं। कस्बा व क्षेत्र में 120-200 डेसीबल आवाज में बज रहे डीजे के शोर से लोगों के कान कमजोर हो रहे हैं। डीजे को कम आवाज में रात के 10 बजे तक ही बजाने का नियम है लेकिन 12 से रात 2 बजे तक डीजे बज रहे हैं। इससे बोर्ड परीक्षा, सीबीएसई सहित अन्य परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों की तेज आवाज से पढ़ाई कमजोर पड़ रही है वही उनका ध्यान भी भटक रहा है इससे वह परेशान है
नियम कायदे की बात करने वाले अवसर कस्बे व क्षेत्र में दिल और दिमाग की नसों को हिला देने वाले शोर से अनजान है। चिकित्सक इससे कान की आवाज चले जाने और हार्ट के रोगियों के लिए जान का खतरा बता रहे हैं वही अभिभावक दबी जुबान से आवाज उठाते हैं लेकिन शिकायत करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहे हैं। पुलिस प्रशासन को शिकायत का इंतजार रहता है उसके कानों में यह शोर पहुंच ही नहीं रहा है। लोगों का कहना है कि विद्यार्थियों के लिए परीक्षा का समय है हर घर में सभी क्लास के विद्यार्थी तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में रात 12 बजे तक डीजे कतई नहीं बजना चाहिए। विवाह घर में जब नियम रात 10 बजे तक डीजे बजाने का है तो फिर उल्लंघन क्यों हो रहा है। आवाज की भी सीमा तय है पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए।
विद्यार्थियों का कहना है कि दिन में शोर शराबे की वजह से ज्यादातर विद्यार्थी रात में पढ़ना पसंद करते हैं।घर में सबके सोने के बाद में पढ़ाई शुरू करते हैं और लगभग दो या तीन बजे तक जारी रखते हैं मगर शादियों में बज रहे डीजे विद्यार्थियों को परेशान कर रहे है लोग देर रात तक तेज आवाज में डीजे बजा रहे हैं।
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