कार्यस्थल पर महिलाएं समान होते हुए भी भिन्न है एवं महिला सशक्तिकरण में सोशल मीडिया का प्रभाव के विषय पर चर्चा का आयोजन।
अनम शेरवानी
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ, विश्वविद्यालय स्टार्टअप कमेटी, लिंग संवेदीकरण प्रकोष्ठ एवं छात्र परिषद द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मनाए जा रहे साप्ताहिक कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत विश्व को आकार देने में उद्यमियों के रूप में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ महारानी लक्ष्मीबाई सभागार में कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल, मुख्य वक्ता अधिवक्ता मोलश्री भटनागर, प्रसिद्ध लेखिका शर्मी अधिकारी, विश्वविद्यालय स्टार्टअप कमेटी के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ.आर.के.घई, महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ की सचिव डॉ.अंशुल त्रिवेदी, लिंग संवेदीकरण प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ. सारिका अभय, डॉ.जैस्मिन आनन्दाबाई, डॉ. राखी झा, डॉ. मंजू अधिकारी एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम प्रभारी डॉ.वैभव गोयल भारतीय ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। डेन्टल कॉलेज के विद्यार्थियों द्वारा गणेश वंदना प्रस्तुत की गई। मैनेजमेंट कॉलेज की छात्राओं ने महिला सशक्तिकरण के विषय पर सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।
मुख्य वक्ता अधिवक्ता मोलश्री भटनागर ने कार्यस्थल पर महिलाएं समान होते हुए भी भिन्न हैं, के विषय पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा और उनके कानूनी प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन लैंगिक समानता के लिए अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान समाज में महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय योगदान दे रही हैं, लेकिन उन्हें कार्यस्थल पर भेदभाव और असमानता, समान वेतन, यौन उत्पीड़न, मातृत्व अवकाश, लैंगिक भेदभाव, और सुरक्षित कार्य वातावरण जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कानून में महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा हेतु महत्वपूर्ण प्रावधान दिए गए है, जिन्हें जागरूकता के साथ अपनाने से महिलाएं प्रभावी रूप से सशक्त होंगी। उन्होंने छात्राओं के साथ संवाद स्थापित करते हुए उनके सवालों के जवाब भी दिए।
प्रसिद्ध लेखिका शर्मी अधिकारी ने महिला सशक्तिकरण में सोशल मीडिया का प्रभाव के विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि महिलाओं को जागरूक करने व अपनी आवाज़ बुलन्द करने में सोशल मीडिया ने महत्वूपर्ण भूमिका निभाई है। भारत में नारीवादी आंदोलनों के लिए सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण साधन बनकर उभरा है, जो समर्थन जुटाने और लैंगिक हिंसा और यौन हिंसा जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा शुरू करने का अवसर देता है। सोशल मीडिया ने महिलाओं को सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक समानता के रूप में सशक्त करने का कार्य किया है। आज फेसबुक, व्हाट्सऐप, ट्विटर, यूटयूब, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में सहायक बन गए हैं।
धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ की सचिव डॉ.अंशुल त्रिवेदी ने दिया। मंच का संचालन डॉ.निशा सिंह ने किया। राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी संकाय व विभाग की महिला पदाधिकारी, शिक्षिकाएं व छात्राएं उपस्थित रही।
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