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Tuesday, November 5, 2024

बिना खड़ग ढाल से नहीं, बल्कि स्वतंत्रता हमारे क्रान्तिकारियों के बलिदान से मिली: डॉ. अतुल कृष्ण

 


अनम शेरवानी

नित्य संदेश, मेरठ। उन्मुक्त भारत द्वारा चरित्रशाला का आयोजन बीडीएस इंटरनेशनल स्कूल जागृति विहार में किया गया। जिसमें सुभारती समूह के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण ने विद्यार्थियों को देश के वास्तविक इतिहास से रूबरू कराते हुए राष्ट्र चरित्र निर्माण हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यार्थियों ने वंदे मातरम से की।

मुख्य वक्ता डॉ. अतुल कृष्ण ने अपने विचार रखते हुए कहा, आज चितरंजन दास का भी जन्मदिन है। उन्होंने चितरंजन दास को नमन करते हुए कहा कि चितरंजन दास ने स्वराज पार्टी की स्थापना की थी और वह सुभाष चंद्र बोस के राजनीतिक गुरु भी थे, क्योंकि हमें स्वतंत्रता बिना खड़ग ढाल से नहीं, बल्कि स्वतंत्रता हमारे क्रांतिकारियों के बलिदान से मिली हैं। डॉ. अतुल कृष्ण ने आगे कहा कि हमें अपने चरित्र को राष्ट्रीय चरित्र में परिवर्तन करना चाहिए, हम अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, गुरुओं का सम्मान करते हैं, इस प्रकार हमें सैनिकों का भी सम्मान करना चाहिए, जो महान क्रान्तिकारी हमको आजादी दिला चुके हैं, उस आजादी को सुरक्षित रखने का कारण केवल हमारे सैनिक है तो हम ऐसा क्या करें कि हम अपने सैनिकों को उचित सम्मान दें सकें। इसके लिए उन्होंने बताया कि यदि हम कहीं लाइन में खड़े हैं और हमारे पीछे कोई वर्दी मे सैनिक खड़े हैं, तो उनको हम वह अपना स्थान दें और उनके स्थान पर जाकर खड़े हो जाए, हमें कहीं वर्दी में सैनिक दिखाई दें, जबकि उनसे हमारी कोई जान है ना पहचान है, हम उनको रोक कर जय हिंद बोलकर उनका अभिव्दन करें। त्यौहारों के मौके पर यदि हमारे आस-पास सैनिकों के परिवार रहते हैं तो उनके घर पर उनको त्यौहार की शुभकामनाएं देने जाए। इस तरह से हम अपने चरित्र को राष्ट्रीय चरित्र में परिवर्तित कर सकते हैं।



21 अक्टूबर के भारतीय इतिहास के बारे में बताया

डॉ. अतुल कृष्ण ने 21 अक्टूबर के भारतीय इतिहास के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर 1943 हमारे अखंड भारत का स्वतंत्रता दिवस है, इस दिन सुभाष चंद्र बोस ने अखंड भारत का ध्वज फहराया, अखंड भारत का राष्ट्रगान किया और अखंड भारत की सरकार की स्थापना की। उन्होंने कहा कि  21 अक्टूबर के इतिहास हेतु जनमानस में जागरूकता के लिए आगामी 21 अक्टूबर 2025 में उन्मुक्त भारत व सुभारती के सहयोग से एक विशाल कार्यक्रम करेगा। जिसमें 26 जनवरी की तरह ही विभिन्न स्कूलों के माध्यम से झांकियां निकाली जाएगी। अगले वर्ष 21 अक्टूबर 2025 के लिए बीडीएस इंटरनेशनल स्कूल ने अपनी झांकी भेजने के लिए भी स्वीकृति दी। जिसका डॉ अतुल कृष्ण ने हृदय से उनके डायरेक्टर और प्रधानाचार्य का धन्यवाद किया और घोषणा की कि जो झांकियां विभिन्न विद्यालयों की 21 अक्टूबर के कार्यक्रम में सम्मिलित होंगी, उनको प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार भी दिए जाएंगे साथ कुछ को सांत्वना पुरस्कार भी दिए जाएंगे।

स्वतंत्रता संग्राम पर प्रकाश डाला

डॉ. अतुल कृष्ण ने विशेष कर हमारे स्वतंत्रता संग्राम पर भी प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि हमारे यहां तीन स्वतंत्रता संग्राम हुए पहले 1857 में दूसरा सुभाष चंद्र बोस की आई एन ए के द्वारा और तीसरा स्वतंत्रता संग्राम 18 फरवरी 1946 को हुआ जो इंडियन रॉयल नेवी के नाविकों ने किया था यह संग्राम मुंबई ,कराची विशाखापट्टनम आदि के बंदरगाह में फैल गया। यह स्वतंत्रता संग्राम रॉयल नेवी से फैलकर रॉयल वायु सेना और आर्मी  में भी चला गया साथ ही देश की जनता भी इसमें शामिल हो गई। इतिहास में इसको नाविक विद्रोह कहा गया वास्तव में यह तीसरा स्वतंत्रता संग्राम था इस स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज अफसरों को यह समझ में आ गया कि उनका कंट्रोल तीनों सेनाओं से खत्म हो रहा है इसकी सूचना उन्होंने ब्रिटेन साम्राज्य को भी दी और कहा अब भारतीय सिपाहियों पर भरोसा नहीं कर सकते मार्च 1946 में जांच के लिए कैबिनेट मिशन भारत आया उसने यह स्वतंत्रता संग्राम सही पाया और उसने भारत को स्वतंत्रता देने के लिए अपनी रिपोर्ट दी उसकी रिपोर्ट पर 2 सितंबर को आंतरिक सरकार बन गई 20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली  ने घोषणा की फरवरी 1948 से पहले भारत को आजाद कर देंगे तो भारत को स्वतंत्रता तीसरे स्वतंत्रता संग्राम के कारण मिली ना कि अहिंसा के कारण।

स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया

अंत में डॉ. अतुल कृष्ण को डायरेक्टर आकर्षक मोहन शर्मा व प्रधानाचार्य गोपाल दीक्षित ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इसके साथ ही अखंड भारत का राष्ट्रगान गाया गया व जय हिंद उदघोष से कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम में सीनियर एकेडमिक हेड सोनिया धवन एक्टिविटी इंचार्ज रीना अग्रवाल कक्षा 9, 10, 11 और 12 की विद्यार्थी एवं अनिल अज्ञात, परवेज बशीर आदि ने भाग लिया।

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