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Thursday, January 23, 2025

"हमारा संविधान अजर-अमर रहे"


नित्य संदेश। हमारा भारतीय संविधान 2 साल, 11 महीने, 18 दिन के पश्चात 284 सदस्यों की संविधान सभा द्वारा, जिसमें 15 विदुषी महिलाएं भी सम्मिलित थी, उनके द्वारा अथाह परिश्रम, सूझबूझ, विवेक, विचारों, बहस और समझौतों के पश्चात तैयार किया गया विश्व का सबसे वृहद संविधान है। संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद थे। 7 सदस्यों वाली ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डाॅ. भीमराव अम्बेडकर थे और ड्राफ्टिंग कमेटी के अन्य छः सदस्यों में सम्मिलित अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, एन. गोपालस्वामी, के.एम. मुंशी, मोहम्मद सादुल्ला, बी.एल. मित्तर, डी.पी. खेतान थे।

यह कमेटी विशेष थी क्योंकि, इसने भारत के संविधान का प्रारूप तैयार किया था। जिससे भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाया गया। हमारा मूल संविधान प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा अतिसुंदर इटैलिक शैली में चर्मपत्र पर हस्तलिखित है। उन्होंने इसे लिखने के लिए 254 पेन की निब्स उपयोग में लेकर छः माह तक धैर्य व मनन के साथ लिखा था। हमारे संविधान की सजावट में शांति निकेतन के नंदलाल बोस और मनोहर सिन्हा जैसे कलाकार भी सम्मिलित थे। इस हस्तलिखित संविधान की मूल प्रति को संसद भवन के पुस्तकालय में हीलियम से भरे चैम्बर में सुरक्षित रखा गया है। 

भारतीय संविधान अपनी अनेक विशेषताओं के कारण संसार के सभी संविधानों में अपना विशिष्ट महत्व रखता है। इसकी विशेषताओं में यह दुनिया का सबसे लंबा, लिखित और विशाल संविधान है। इसमें वर्तमान में 251 पेज, 395 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग है। जो हमारे कानून-कायदों का विस्तृत वर्णन है। लेकिन यह आंकडे़ परिवर्तनशील है। क्योंकि, हमारा संविधान कठोरता और लचीलेपन का सम्मिश्रण है। जो समय व परिस्थिति के अनुसार विशेष प्रक्रिया द्वारा उचित न्याय पाने के लिए बदला जा सकता है। हमारे देश में लोकतंत्र की व्यवस्था संविधान के द्वारा ही की गई है जिसमें जनता के शासन को केन्द्र में रखकर चलाया जाता है। हमारे नियम कायदों का पिटारा हमारा संविधान, विश्व के सभी संविधानों के श्रेष्ठ तत्वों को अपने में समेटे हुए है। क्योंकि इसका उद्देश्य किसी के साथ अन्याय व अत्याचार नहीं हो। इसके विभिन्न स्रोत है। वैसे इसे कुछ जन उधारी का थैला भी बोलते है पर यह गलत है। सभी देशों से अच्छाई ग्रहण करने के पीछे की मंशा सर्वश्रेष्ठ संविधान बनाने की ही रही थी।  

केंद्र और राज्यों के मध्य शक्तियों के बंटवारे के लिए यह संघात्मक और एकात्मक दोनों गुणों का समावेश लिए हुए है। यह हमारे मूल कर्तव्य निर्धारित करता है जो स्वयं व राष्ट्र प्रगति में सहायक है। दूसरी ओर यह हमें समानता, स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता, शोषण के विरूद्ध आवाज उठाने का अधिकार, संपत्ति का अधिकार, सांस्कृतिक, शैक्षिक, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विधि से संवैधानिक उपचारों का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। हमारे लिए संसदीय लोकतंत्र होने से जनता द्वारा चयनित प्रतिनिधि संसद में नए कानून बनाते हैं। यह लोकतंत्र को सशक्त और दृढ़ करता है।  
हमारा देश विविधताओं से भरा है। हर प्रांत की अपनी अलग संस्कृति, सभ्यता है, ऐसे में विविधता में एकता के दर्शन संविधान से ही होते है। इसका सामाजिक न्याय, समानता पर आधारित है। हमारे यहां गतिशील और आधुनिक संविधान नए हालातों में संशोधन कर जनता के लिए हितग्राही बनाया जाता है। वास्तव में, कानून तो वही है जिसे सहर्षता, विश्वास और गौरव के साथ अपनाया जाए, न कि जबरदस्ती थौंपा जाए। 

हमारा संविधान विस्तृत व्याख्या के साथ अन्य देशों से बहुत अच्छा और विवेकपूर्ण तरीके से लिखा गया है। हम संविधान के जरिए विविधता को स्वीकारते और एक-दूसरे का सम्मान करते हुए राष्ट्रप्रेम, एकता, अखण्डता के लिए प्रतिबद्ध होते है। इतना विस्तृत और जनता के हित में लिखा विश्व में अन्य किसी भी देश का संविधान नहीं है। हमारे संविधान में न्याय व्यवस्था कठोरता से अधिक बचाव और सुधार की ओर इंगित है। जो बडे़ मामलों में कभी-कभी गलत लगती है पर इसमें मानवता व दया बनाए रखने का उद्देश्य समाहित है। हमारा संविधान सामाजिक न्याय व्यवस्था व समानता प्रणाली को अधिक महत्वपूर्ण मानते हुए निर्देशित सिद्धांत है। यह भी हमारी अन्य देशों से अनूठी विशेषता है। हमारे यहां अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए विशेष आरक्षित प्रावधान है ताकि सभी समूहों का आर्थिक, सामाजिक विकास साथ-साथ हो। दीनता, हीनता, जातिगत के साथ शारीरिक व मानसिक रूप से दिव्यांग जन के लिए भी हमारा संविधान विशेष आरक्षण प्रसारित करता है। 
भले ही हमारा विश्व का सबसे बड़ा, देश में सर्वजन स्वीकार संविधान है पर जब-जब इसे संशोधित करने की बात उठती है तो यह अन्य देशों की तुलना में अवधि पूर्ण, उबाऊ, कठिन, जटिल प्रक्रिया के बाद लागू होता है पर ऐसा सुनिश्चिता और स्थिरता के लिए आवश्यक भी है। जो इसे अन्य देशों से अलग व खास भी बनाता है।

हमारे देश का संविधान दुनिया में सर्वश्रेष्ठ तो नहीं कहा जा सकता पर विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश में मान्य होने से, विश्व का सबसे विशिष्ट और सफल संविधान कहना गलत नहीं होगा। संविधान के विशेषताओं को जानने के बाद मेरा तो मनना है कि भारत में विविधता के रंगबिरंगे पुष्पों को एक जगह एकता के साथ रखने वाला उपजाऊ बाग हमारा संविधान ही है। हम भारतीयों को हर तरह से राष्ट्र सर्वोपरि के भाव के साथ समानता, सुरक्षा, साहस, सम्मान, अधिकार, कर्तव्य बोध और विधि विधान से गतिमान रखने वाला हमारा महान गणतंत्रात्मक संविधान सदा अजर-अमर रहे। जय हिंद! 

प्रस्तुति 
सपना सी.पी. साहू 
इंदौर (म.प्र.)


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