मेरठ. पैगम्बर-ए-इस्लाम हज़रत मौहम्मद साहब की दुख्तर खातूने जन्नत हजरत इमाम अली की शरीक-ए-हयात (पत्नी) हजरत फातिमा जेहरा की शहादत पर मोहर्रम की तरह अशरे दस दिवसीय अज़ा-ए-फातिमा जेहरा के सिलसिले में बड़े ही गमगीन माहौल में इमामबारगाहों और अज़ाखानों में मजलिसों का आयोजन किया गया।
यह जानकारी देते हुये अली मिशन सोसायटी के संयोजक अली हैदर रिज़वी ने बताया कि रसूलपुर धौलड़ी, खिर्वा जलालपुर, अब्दुल्लापुर सहित लोहिया नगर, शहर व जै़दी फार्म में आयोजित मजलिसों में हजरत फातिमा जेहरा की शहादत बयां की गयी. इस दौरान रेलवे रोड स्थित मनसबिया कर्बला में सुप्रसिद्ध उलमा मौलाना सैयद असदयावर, मौलाना सैयद जैगम रिज़वी, मौलाना सलमान आब्दी ने हज़रत फातिमा जेहरा की अज़मत और पाकीज़ा किरदार की अहमियत बयां करते हुये कहा कि हज़रत फातिमा दुनिया की तमाम ख्वातीन के लिये नूरानी मीनार की हैसियत रखती हैं। मजलिस के बाद अंजुमन इमामिया, अंजुमन तंजीमे अब्बास, अंजुमन फौजे हुसैनी ने पुरसौज़ नौहेख्वानी की।
इसके अतिरिक्त इमामबारगाह दरबारे हुसैनी जै़दी फार्म में मौलाना शब्बर हुसैन खां लखनऊ, मौलाना सैयद सलमान आब्दी बैंगलुरू, मौलाना आज़म मेहदी खान सुल्तानपुर ने मजलिसों को खिताब करते हुये कहा कि पैगम्बर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद मुस्तुफा ने अपनी बेटी हज़रत फातिमा को अपने जिगर का टुकड़ा करार दिया। हज़रत फातिमा ने एक बेटी की हैसियत से अपने बाबा हज़रत मुहम्मद और अपने शौहर हजरत इमाम अली की मिसाली खिदमत की और मां की हैसियत से अपनी आगोश में ऐसे मासूम बच्चों हजरत इमाम हसन और हजरत इमाम हुसैन को परवान चढ़ाया जिन्होने अपनी कुर्बानियां देकर दीन-ए-इस्लाम और इन्सानियत को बचा लिया।
इसी क्रम में इमाम बारगाह अबूतालिब लोहिया नगर में मौलाना अतहर काज़मी, मौलाना अली हसनैन, मौलाना अल्ताफ हुसैन ने और इमामबारगाह पंजेतनी जैदी नगर सोसायटी में अंजुमन अजाये हुसैन की जानिब से आयोजित मजलिसों में मौलाना उरूज अली, मौलाना मुहम्मद आबिद ने खिताब करते हुये कहा कि हजरत मौ0 मुस्तुफा का इरशाद है कि मेरा खुदा गवाह है जिसमें मेरी बेटी हजरत फातिमा को खुश रखा उसने मुझे खुश रखा उसने खुदा की रज़ा और खुशनुदी हासिल की और जिसने इन्हें अज़ीयत दी उसने मुझे गमगीन किया, इस कौल की रोशनी में हजरत फातिमा जेहरा की अहमियत का अंदाजा होता है।
ख्वातीन की मजलिस सैक्टर 4 स्थित शाह जलाल हाॅल में ख्वातीन की मजलिस में हजरत फातिमा के मिसाली किरदार को अपनाकर ख्वातीन से जिन्दगी गुजारने की ताकीद की गयी, मजलिस के बाद शबीह-ए-ताबूत हजरत फातिमा जेहरा बरामद हुआ। इसके अतिरिक्त सबाहत काज़मी के अज़ाखाने रामबाग कालोनी में तथा जै़दी नगर सोसायटी स्थित इमामबारगाह पंजेतनी में ख्वातीन की मजलिसें हुयी।
इमामबारगाह जाहिदियान तथा छोटी कर्बला चौडा़ कुंआ में भी ख्वातीन की मजलिसों में हज़रत फातिमा जेहरा की शहादत को शिद्दत से याद किया गया। मजलिसों का यह सिलसिला कल रविवार को समाप्त हो जायेगा।
No comments:
Post a Comment