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Wednesday, January 29, 2025

एक फरवरी को किनोनी चीनी मिल का घेराव करने के बहिष्कार का लिया निर्णय



नित्य संदेश ब्यूरो 
रोहटा। बुधवार को किनौनी गांव में क्षेत्र के किसानों की एक बैठक में आरोप लगाया गया कि दूसरे प्रदेश के कुछ राजनीतिक और गैर राजनैतिक नेता एक साजिश के तहत मिलकर आगामी 1 फरवरी को किनोनी चीनी मिल का घेराव करने का आह्वान क्षेत्रवासियों से कर रहे हैं। इसकी आड़ में वह अपने निजी स्वार्थों का हित साधने के लिए यह मुहिम छेड़े हुए है।

बैठक में निर्णय लिया गया कि क्षेत्रवासी इन साजिशकर्ताओं के नेतृत्व में होने वाले 1 फरवरी के धरना प्रदर्शन का बहिष्कार करेंगे। बैठक में वक्ता राजे प्रधान ने कहा कि चढूनी संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष हरियाणा प्रदेश का निवासी है, और वह गन्ना भुगतान दिलाने की आड़ में चीनी मिल के खिलाफ साजिशकर्ताओं से मिलकर 11 ओर 18 जनवरी को मिल गेट पर धरना प्रदर्शन कर चुका है। यह एक अभियान पश्चिम की चीनी मिलो के खिलाफ चलाए हुए है। जो इस प्रदेश की राजनीति में सुर्खियों में आना चाहता है। यह कुछ लोगों की सोची समझी एक साजिश है, जिसमें हमारे क्षेत्र के कुछ निजी स्वार्थ हितों को साधने वाले लोगों को बहकावे में ले क्षेत्र के किसानों को गुमराह कर रहा हैं।  

गन्ना डायरेक्टर महकार सिंह ने बैठक में कहा कि किनोनी चीनी मिल के लगने से ही क्षेत्र के किसानों का 90% गन्ना चीनी मिल को आपूर्ति हो रहा है। जब तक चीनी मिल किनौनी में नहीं लगी थी, उस समय मात्र क्षेत्र का 30 से 35% गन्ना ही चीनी मिलो को आपूर्ति होता था। अवशेष क्षेत्र के किसानों का गन्ना ओने पौने दामों में कोल्हू व क्रेशर को ही बेचने के लिए विवश होना पड़ता था, लेकिन बजाज ग्रुप ने किनौनी गांव में 20 वर्ष पूर्व चीनी मिल की स्थापना कर एक अहम पहल की और उसके बाद दर्जन भर चीनी मिल पश्चिम क्षेत्र में स्थापित की गई, उसके बाद गन्ने में क्रांति आ गई लेकिन अब कुछ राजनीतिक और अराजनीतिक संगठन चीनी मिलो के बकाया गन्ना भुगतान की मांग आदि मुद्दों को लेकर सोची समझी साजिश रच अपने निजी हित साधने के प्रयास में लगे है। जबकि चीनी मिल ने गत वर्षों के मुकाबले चालू सत्र में गन्ने के भुगतान में इजाफा करते हुए नवंबर तक का भुगतान भी कर दिया है। हाल ही में भी भाकियू टिकत गुट ने 26 जनवरी को धरना दिया था। जिसमें मिल प्रबंधन ने शीघ्र ही गन्ने के भुगतान में तेजी लाने का वायदा किया था। जिसमें अब चीनी मिल पर कोई धरना प्रदर्शन करने का औचित्य ही नहीं है । यदि चीनी मिल प्रबंधन अपने दिए गए वायदे पर खरा नहीं उतरता है। तो क्षेत्र के किसान इतने सक्षम है, कि यदि मिल के खिलाफ लड़ाई भी लड़नी पड़ी तो क्षेत्र के किसान अपने ही क्षेत्र के नेताओं के नेतृत्व में लड़ने के लिए तत्पर रहेंगे। किसी भी कीमत पर ऐसे राजनीतिक संगठनों को जो किसान हित के बजाय अपने हित साधने में लगे है। इन्हें कतई पनपने नहीं दिया जाएगा। 
   
बैठक की अध्यक्षता महकार सिंह (पूर्व गन्ना समिति डायरेक्टर किनौनी) एव संचालन सेहंसर पाल (पूर्व प्रधान रसूलपुर जाहिद) ने की। मुख्य रूप से कंवरपाल प्रधान मीरपुर, राजे, रंजीत सिंह फौजी, बेगराज सिंह प्रधान, अशोक प्रधान कल्याणपुर, सुबोध कुमार भदौड़ा, मौज पाल सिंह भदौड़ा, सुरेश त्यागी कैथवाडी, बिल्लू चेयरमैन, ओमकार सिंह मलिक, महेश सिंह उकसिया, प्रवीण डालमपुर, मुकेश त्यागी, कैथवाडी अन्य गावो से आए गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

मिल के यूनिट हेड केपी सिंह का कहना है कि इसी संगठन के द्वारा 11ओर 18 जनवरी को भी मिल गेट पर धरना दिया गया था। यह एक माह के अंदर तीसरा धरना दिया जाना प्रस्तावित है। गन्ना विभाग ओर प्रशासन के शिड्यूल के अनुसार जो चीनी की बिक्री हो रही है। उसी के तहत मिल प्रबंध नियमानुसार भुगतान कर रहा है। मिल प्रबंध तंत्र क्षेत्र के किसानों के साथ है।

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