Breaking

Your Ads Here

Friday, January 24, 2025

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया

नित्य संदेश ब्यूरो 
माछरा। हिन्दी साहित्य भारती अन्तर्राटीय मेरठ इकाई और माछरा वासियों के सहयोग से नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम की शुरूआत पूर्व विधायक सत्यवीर त्यागी, विशिष्ट अतिथि देवेन्द्र त्यागी राष्टीय संयोजक भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति, जगतवीर त्यागी, नरेश उपाध्याय, डा. जितेन्द्र त्यागी, निशांत त्यागी, अश्विनी त्यागी, महेन्द्र पाल सिंह राठौरिया, मोहिनी प्रतिमा सहित सभी अतिथियों ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के चित्र एवं मां शारदे के चित्र के सम्मुख द्वीप प्रज्जवलित एवं पुष्प अर्पित कर की।

कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत कवि सुदेश यादव दिव्य ने कुछ इस प्रकार मां की वंदना से की— दिया है मैया ने ज्ञान इतना, हर एक प्रतिभा दिखा रहा है। कोई सुरों को सजा रहा है तो कोई पंचम में गा रहा है। ओज कवि संजीव त्यागी ने कहा— ये खिलखिलाता चेहरा ये लिबास उदास दिखता है, दिल में उठती वो कसक वो पल का एहसास दिखता है, यूँ तो मुस्कुरा लेते हैं हम भी तुम्हारी महफ़िलों में, उमंगों का छूटा सावन का वो मधुमास दिखता है। सुनाकर श्रोताओं में जोश भर दिया। कवि सुदेश यादव दिव्य ने कुछ इस प्रकार कहा— लाजपत सा कोई आज लाला नहीं, ना भगत सिंह सा कोई सरदार है। आजकल कोई अशफाक मिलता नहीं, नेताजी जैसे वीरों की दरकार है। सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। मैनपुरी से पधारे कवि मनोज चौहान ने कहा— कोई जिक्र नहीं छोडूंगा आतंकी आकाओं के, यानी दीप बुझाने वाली बहसी क्रूर हवाओं के। जिसने बोए नेताजी सुभाष से वीर हिंद की माटी में, चरण पियूंगा धोकर ऐसी वीर प्रसूता मांओं के। सुनाकर श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। गाजियाबाद से पधारे कवि स्वदेश यादव ने कुछ इस प्रकार कहा— सकल जीवन लुटा देते मगर उफ़्फ़ तक नहीं करते, वो निज ख़ुशियाँ मिटा देते मगर उफ़्फ़ तक नहीं करते। फ़र्ज़ कैसे निभाते हैं ये सीखें सैनिकों से हम, वतन पर सर कटा देते मगर उफ़्फ़ तक नहीं करते। सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। कवयित्री ऋचा सिंह ने कहा— वो पर्वत सा चुप चुप है मैं नदिया सी मचलती हूं, वो बुत बनके खड़ा देखो मैं गिरती हूं संभलती हूं। सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। बिजनौर पधारे हास्य के वरिष्ठ कवि ने सभी श्रोताओं को खूब हंसाया। हापुड से पधारे कवि अनिल वाजपेई ने कहा— जयहिंद नारे का हुआ, अम्बर में उदघोष, भारतवासी कह उठे, जय सुभाष चंद्र बोस। सुनाकर खूब रंग जमाया। 

इस अवसर पर अराध्या प्रकाशन द्वारा प्रकाशित जगतवीर त्यागी की पुस्तक महाराणा प्रताप काव्य संग्रह का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जगतवीर त्यागी ने की और संचालन डा. जितेन्द्र त्यागी और अनिल वाजपेई ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में विशेष सहयोग नरेश उपाध्याय, जितेन्द्र त्यागी, धर्मेश त्यागी, भूदेव शर्मा, निशांत त्यागी, अश्विनी त्यागी, यतेन्द्र शर्मा, मोहिनी प्रतिमा त्यागी, संजीव दत्त शर्मा, राकेश त्यागी, आनन्द सैनी, डा. सतीश चन्द शर्मा, कर्नल ओंकार शर्मा, लालसिंह त्यागी, श्यामसिंह और सुभाष त्यागी का रहा। कार्यक्रम में चन्द्रशेखर मयूर, अ​निल शर्मा, राजेश्वर घायल, कुसुम शर्मा, कमलेश शर्मा, केशु त्यागी मौजूद रहे।

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here