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Monday, January 6, 2025

वामा साहित्य मंच ने मनाया अपना स्थापना दिवस, देश मेरा रंगीला पर दी मनभावन प्रस्तुति



नई कार्यकारिणी गठित, ज्योति जैन अध्यक्ष और स्मृति आदित्य सचिव होंगी

सपना साहू 
नित्य संदेश, इंदौर। शहर की जानी मानी साहित्यिक संस्था वामा साहित्य मंच 5 जनवरी 2017 से अस्तित्व में आई और तब से लेकर अब तक कई आयोजनों को सम्पन्न कर साहित्य के क्षेत्र में सशक्त नाम बनकर उभरी हैं. 5 जनवरी 2025 को वामा ने अपना स्थापना दिवस, शपथ विधि और रंगारंग कार्यक्रम के साथ नई कार्यकारिणी का गठन किया.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल ज्योति छाजेड़ (डायरेक्टर, श्री कंवरतारा शैक्षणिक संस्थान,मंडलेश्वर) ने कहा कि वामा साहित्य मंच इंदौर के साहित्य पटल पर एक ऐसा मंच जो प्रतिभाशाली नारियों को साहित्य सृजन के लिए प्रेरित करता है. अपने लेखन से धरती से अंबर तक को रचने वाली "मानवी" सिर्फ गृहिणी ही नहीं होती वह होती है, उस अद्वितीय 'मेघा' की धनी,जिससे साहित्यकार का नाम आहूत होता है। वामा साहित्य मंच प्रगति के कदम बढ़ाकर क्षितिज का गौरव बनेगा यही मेरे दिल की आवाज है और मंगल आकांक्षा भी...
निवर्तमान अध्यक्ष इंदु पाराशर ने नवनियुक्त अध्यक्ष ज्योति जैन को पद भार सौंपा. अध्यक्ष ज्योति जैन ने नई कार्यकारिणी की घोषणा की. पूर्व सचिव डॉ.शोभा प्रजापति ने वर्तमान सचिव स्मृति आदित्य को अपना दायित्व हस्तांतरित किया. आयोजन के पहले हिस्से में शपथ विधि हुई और दूसरे हिस्से में सांस्कृतिक कार्यक्रम देश रंगीला की प्रस्तुति दी गई.

पहले भाग में हुई शपथ विधि में सदस्यों ने पद की गोपनीयता के साथ एक शपथ और ली कि विश्व में पैर पसार रही अशांति और अराजकता को देखते हुए देश की एकता व अखंडता को हम अक्षुण्ण रखेंगे। 

अध्यक्ष के रूप में ज्योति जैन ने कहा कि जिस तरह से बिखरी हुई बुंदी लड्डू बनकर मिठास देती है उसी तरह मंच की हर सदस्यों की भाषा और बोली का हम सम्मान करते हुए हम प्रतीकात्मक रूप से देश की एकता के प्रति आदर व्यक्त करते हैं. सदस्यों को साथ में लेकर चलने की परम्परा का वामा ने निर्वहन किया है. नए कार्यकाल में भी इसे जारी रखेंगे. आगे बढ़ने की त्वरा में अपनी जड़ो को नहीं भूलेंगे...

सचिव स्मृति आदित्य ने कहा कि साहित्यिक मूल्यों और प्रतिष्ठा को बनाए रखते हुए आगे बढ़ना चुनौतीपूर्ण होता है और वामा ने कुशलतापूर्वक निभाया है. आगे भी इसका ध्यान रखेंगे और नवाचार को बढ़ावा देंगे.
मंच में शामिल सद्स्यों ने अपनी भाषा-बोली जैसे मालवी, निमाड़ी, भोजपुरी, अवधी, बुंदेलखंडी, मराठी, राजस्थानी पंजाबी, मलयालम, गढ़वाली, बांगला, सिंधी, गुजराती आदि में लोकगीत व अन्य प्रस्तुतियों से समां बांध दिया. गुजराती गीत के साथ संगीता परमार ने संचालन की शुरुआत की फिर मालवी समूह लोकगीत शारदा मंडलोई, पुष्पा दासोंधी, सरला मेहता, आशा मुंशी, गायत्री मेहता, दिव्या मंडलोई और आशा शर्मा ने प्रस्तुत किया जिसके बोल थे...म्हारो प्यारो भारत देश, उसके बाद 'चेतिया में गवनवा कराई दे हो रामा' बनारसी गीत अंजना चक्रपाणि मिश्रा ने गाया, रश्मि चौधरी, प्रीति दुबे ने बुंदेली हास्य कविता,मराठी लोकगीत तुझं मागतो मी आता पर वैजयंती दाते, वंदना पुणतांबेकर, स्नेहा काले, सुजाता देश पांडे, छाया मुंशी, अर्चना पंडित, अमिता मराठे ने प्रस्तुति दी, वीरपस आई मख हेर क्यों नहीं बुलाई म्हारा वीर,निमाड़ी लोकगीत विद्यावती पाराशर, ममता शर्मा ने गाया, पंजाबी लोकगीत गिद्दा बोलियां कविता अर्गल, अवंती श्रीवास्तव, राजस्थानी गीत 'धरती धोरा री' वंदना शर्मा और महिमा शुक्ला, बांग्ला गीत व नृत्य-काजल मजूमदार, आशा मानधन्या ने संस्मरण (मालवी), अनिता जोशी, प्रतिभा शाह ने हास्य लघु नाटिका और केरल का मलयाली लोक नृत्य 'तिरुवातिरा' स्मिता नायर ने प्रस्तुत किया. दामिनी ठाकुर ने भोजपुरी और विभा भटोरे व माधुरी निगम ने मालवी में प्रतिभागिता दी. 

कार्यक्रम में सरस्वती वंदना वाणी जोशी ने प्रस्तुत की, शपथ विधि समारोह का संचालन डॉ.गरिमा संजय दुबे ने तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम का संचालन संगीता परमार ने किया. आभार उपाध्यक्ष वैजयंती दाते ने माना।

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