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Monday, January 13, 2025

भारत और नेपाल विश्व के गौरवशाली इतिहास वाले देश: डॉ.पूनम राणा



भारत राष्ट्र बोध व्याख्यान माला का आयोजन

अनम शेरवानी 
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय में भारत राष्ट्र बोध व्याख्यान माला के अंतर्गत ‘तथागत बुद्ध के क्षेत्र के आसपास 2009 - 2024 के दौरान की गई हालिया खोजें और खुदाई, खोकसर और देवदाहा मायादेवी का जन्मस्थान एवं नेपाल के उत्तरी हिमालयी क्षेत्र में बौद्ध धर्म का विस्तार के विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल के केंद्रीय नेपाली इतिहास संस्कृति और पुरातत्व विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पूनम राणा ने अपने विचार रख कर सभी का ज्ञान वर्धन किया।

विश्वविद्यालय आगमन पर कुलपति कार्यालय में सुभारती समूह के संस्थापक डॉ.अतुल कृष्ण द्वारा डॉ.पूनम का स्वागत किया गया। यहां सम्मान पट्ट पर बलिदानों के चित्र के समक्ष डॉ.पूनम राणा ने दीप प्रज्ज्वलित किया। सत्यजीत रे प्रेक्षागृह में कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता डॉ.पूनम राणा, सुभारती समूह के संस्थापक डॉ.अतुल कृष्ण, कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के. थपलियाल, ट्रस्टी अवनी कमल, बुद्धिस्ट स्टडीज के सलाहकार डॉ.हिरो हितो, सुभारती डिफेन्स एकेडमी के निदेशक कर्नल राजेश त्यागी ने तथागत बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। बौद्ध विद्वान भंते डॉ. चन्द्रकीर्ति एवं भंते डॉ. विमल बोधी ने मंगलाचरण वंदना प्रस्तुत की।
 
सम्राट अशोक सुभारती स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज के सलाहकार डॉ.हिरो हितो ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने मुख्य वक्ता त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल के केंद्रीय नेपाली इतिहास संस्कृति और पुरातत्व विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर की डॉ. पूनम राणा का परिचय देते हुए कहा कि डॉ. राणा बौद्ध इतिहास को संरक्षित करने के लिए गौरवशाली कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के मध्य मधुर संबंधों को विस्तार करते हुए उन्होंने भारतीय व नेपाली इतिहास पर तथ्यात्मक जानकारी एकत्र की है, जो मानव कल्याण की दिशा में हितकारी है। 

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता डॉ.पूनम राणा ने कहा कि भारत और नेपाल देश विश्व के गौरवशाली इतिहास वाले देश है। सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों के कारण नेपाल की विदेश नीति में भारत विशेष महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म के संदर्भ में समान संबंध साझा करते हैं। बुद्ध का जन्मस्थान लुम्बिनी नेपाल में है और उनका निर्वाण स्थान कुशीनगर भारत में स्थित है। इसलिए भारत व नेपाल के लिए तथागत बुद्ध अति महत्त्व रखते हैं। उन्होंने कहा कि जब तथागत बुद्ध का समय था तो नेपाल व भारत के मध्य कोई सीमा नहीं थी इसलिए यह कहना उचित है कि तथागत बुद्ध का उदय भारत और नेपाल की धरती से हुआ है। उन्होंने नेपाल में बुद्ध धर्म से संबंधित इमारतें व दुलर्भ अवशेष के चित्र दिखाकर सभी को उसके इतिहास से रूबरू किया। उन्होंने बताया कि नेपाली इतिहास संस्कृति और पुरातत्व विभाग द्वारा तथागत बुद्ध से जुड़ी वस्तुओं का संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने सुभारती विश्वविद्यालय का भ्रमण भी किया। जिस पर उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय तथागत बुद्ध की शिक्षाओं को पल्लवित करने हेतु उत्कृष्ट कार्य कर रहा है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ.जी.के.थपलियाल ने विश्वविद्यालय की शैक्षिक एवं अनुसंधान हेतु की जा रही गतिविधि की जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि सुभारती विश्वविद्यालय भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से अपने विद्यार्थियों का ज्ञान वर्धन कर रहा है। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु एवं राष्ट्र निर्माण के भाव को जागृत करने की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा भारत राष्ट्र बोध व्याख्यान माला से उनका ज्ञान वर्धन किया जा रहा है। मंच का संचालन डॉ.मुकेश मेहता ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय व विभाग के विद्यार्थी व अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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