नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। आभा मानव मंदिर वरिष्ठ नागरिक सेवा सदन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन व्यास पीठ आचार्य श्री विनय शास्त्री ने श्री कृष्ण सुदामा मिलन, भस्मासुर वध, भगवान दत्तात्रेय प्रसंग, महर्षि भृगु प्रसंग, जरा नामक व्याध द्वारा श्री कृष्ण की मृत्यु प्रसंग का वर्णन किया। जब पत्नी सुशीला ने सुदामा से कहा कि आप अपने बचपन के मित्र कन्हैया से क्यों नहीं मिलते वह जरूर हमारी दुर्दशा दूर करेंगे, तब सुदामा ने कहा कि किसी के पास जाओ तो कुछ लेकर जाना चाहिए. तब सुशीला पड़ोस में से कुछ चावल मांगकर लाती है और वही चावल अपनी धोती फाड़कर उसमें बांधकर सुदामा को श्री कृष्ण को देने के लिए कहती है। वह कहती है कि
*किस्मत में गरीबी है क्या इसकी फिक्र करना*
*प्रभु मित्र तुम्हारे हैं कुछ उनसे जिक्र करना*
इस पर सुदामा जी कहते हैं कि
*धनवान क्या जाने निर्धन की कदर करना*
*लोटा लाठी लेकर चल दिए सुदामा जी और पहुंचे द्वारका को जहां रहते श्यामा जी*
और कहते हैं
*क्या भूल गए भैया मित्रों की फिक्र करना*
सुदामा के आने की खबर पाकर श्री कृष्णा दौड़े चले आते हैं और सुदामा को गले लगाते हैं और अपने सिंहासन पर बैठकर सुदामा के पैर धोते हैं और अपनी माया से उनके सारे कष्ट दूर कर देते हैं. आचार्य जी ने कहा कि जीवन में सुख और दुख आएंगे ही। संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसके जीवन में सुख और दुख ना हो। सुदामा ने श्री कृष्ण से कहा कि हे कान्हा की चाहे मेरे पास धन नहीं रहे लेकिन मैं हमेशा तेरी भक्ति करता रहूं । आखिरी समय मे यह धन वैभव कौन लेकर गया है और कौन साथ लेकर जाएगा ।
मैं तेरा भजन करूं ,तेरी लीलाओं का गान करूं मेरे ऊपर ऐसी कृपा करना।
निशा गोयल, शांति अग्रवाल, तारा चंद्र कंसल, अंजलि कंसल, विनीता अग्रवाल ,सविता अग्रवाल उपस्थित रहे
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