Breaking

Your Ads Here

Tuesday, February 4, 2025

भारतीय ज्ञान परंपरा, मंडल सिद्धांत और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता पर व्याख्यान


अनम शेरवानी 
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के कला एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के तहत लिबरल आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज विभाग में "भारतीय ज्ञान परंपरा, मंडल सिद्धांत और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता विषय पर अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्याख्यान को शहीद मंगल पांडेय गर्ल्स डिग्री कॉलेज माधवपुरम के राजनीति विज्ञान विभाग की प्रोफेसर डॉ. अनुजा गर्ग ने प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता उदार कला एवं मानविकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने की, उन्होंने मुख्य अतिथि डॉ. अनुजा गर्ग का स्वागत किया और कार्यक्रम का शुभारंभ किया। डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने कहा कि मंडल सिद्धांत भारतीय प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसकी जड़ें प्राचीन भारतीय ग्रंथों में देखी जा सकती हैं। यह सिद्धांत विभिन्न राज्यों के बीच सत्ता संतुलन और कूटनीति की व्याख्या करता है। प्राचीन काल में यह सिद्धांत विशेष रूप से कौटिल्य के अर्थशास्त्र में उल्लेखित हुआ था, जिसमें राज्य को मंडल के रूप में चित्रित किया गया है। इस अवधारणा के अनुसार, प्रत्येक राज्य के चारों ओर विभिन्न प्रकार के संबंध होते हैं, जैसे मित्र राष्ट्र, शत्रु राष्ट्र, मध्यस्थ राष्ट्र और तटस्थ राष्ट्र।

मुख्य अतिथि डॉ. अनुजा गर्ग ने मंडल सिद्धांत पर अपने विचार प्रस्तुत किए, जिसमें उन्होंने इसके प्राचीन और आधुनिक राजनीतिक संदर्भों में महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित यह सिद्धांत अंतरराज्यीय संबंधों को समझने के लिए एक रणनीतिक ढांचा प्रदान करता है। उनके अनुसार, यह सिद्धांत राज्यों को उनकी निकटता और संबंधों के आधार पर वर्गीकृत करता है, जिससे कूटनीति, गठबंधन और संघर्षों के लिए एक सुव्यवस्थित दृष्टिकोण विकसित किया जाता है। कौटिल्य के काल और आज की वैश्विक कूटनीति के बीच समानता दर्शाते हुए, उन्होंने मंडल सिद्धांत की विदेश नीति निर्माण और शक्ति संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

डॉ. अनुजा गर्ग ने मंडल सिद्धांत की प्रासंगिकता के बारे में बताया कि आज भी वैश्विक राजनीति में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। कौटिल्य ने इस सिद्धांत के माध्यम से यह बताया था कि किसी भी राज्य की सुरक्षा और शक्ति उसके पड़ोसी राज्यों के साथ संबंधों पर निर्भर करती है। आज के अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में, यह सिद्धांत देशों के बीच कूटनीतिक गठबंधनों, शक्ति संतुलन और रणनीतिक साझेदारियों को समझने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, भारत के विभिन्न देशों के साथ राजनीतिक और सामरिक संबंधों को देखा जा सकता है, जैसे कि अमेरिका, रूस और जापान के साथ मिलकर क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सहयोग। इसी प्रकार, चीन और पाकिस्तान के साथ भी भारत के तनावपूर्ण संबंधों को मंडल सिद्धांत से जोड़ा जा सकता है, जहां ये दोनों देश भारत के शत्रु के रूप में देखे जाते हैं। इसके अलावा, वैश्विक संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र, ब्रिक्स, क्वाड और G20 भी इस सिद्धांत के आधार पर काम करते हैं, जहां देशों के आपसी हित और सुरक्षा के लिए रणनीतियाँ बनाई जाती हैं। इस प्रकार, मंडल सिद्धांत आज भी कूटनीति, रक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को समझने के लिए एक प्रभावशाली सिद्धांत बना हुआ है।

इस अवसर पर विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. अमृता चौधरी ने भी विषय पर अपने विचार रखे और मंडल सिद्धांत की आधुनिक प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर विभाग के अन्य शिक्षकगण डॉ. दुर्वेश कुमार, डॉ. नियति गर्ग, डॉ. लवली भी उपस्थित रहे।

छात्र-छात्राओं की सक्रिय भागीदारी ने इस कार्यक्रम को सफल बनाया। उपस्थित छात्रों में अमन यादव, शिवानी, शिवानी तोमर, हुजैफा, अंशु कुमार, मयंक कुमार, श्रेय अत्री, अभिनव गुलियान, खालिद अबरार, मणि प्रमुख रूप से शामिल रहे। कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. दिनेश कुमार द्वारा किया गया। डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here