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Sunday, February 23, 2025

सनातन धर्म की संस्कृति और आस्था का संगम है महाकुंभ: महेन्द्र कुमार रस्तौगी



नित्य संदेश ब्यूरो 
कंकरखेड़ा। राजा बाल एकेडमी में वरिष्ठ नागरिक सेवा समिति की मासिक बैठक हुई, जिसमें समिति के कार्यों और गतिविधियों से अवगत कराया गया। 9 मार्च 2025 में समिति के स्थापना दिवस के आयोजन पर विस्तृत चर्चा हुई।अन्त में "सनातन धर्म की संस्कृति और आस्था का संगम है महाकुंभ"विषय पर एक गोष्ठी हुई, जिस पर सदस्यों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। 

समिति अध्यक्ष महेन्द्र कुमार रस्तौगी ने कहा कि महाकुंभ के इतिहास से जुड़े कई रोचक पहलू है, जो इसे सांस्कृतिक और धार्मिक बनाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसकी शुरूआत सतयुग से हुई थी। इसका आधार समुद्र मंथन की उस कथा में है जहां अमृत की बूंदें चार पवित्र स्थानों प्रयाग राज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थी। इन्हीं स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन होता है। ऐसा कहते है कि इन स्थानों की नदियों के जल में अमृत है और उसमें स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह हमारी धार्मिक विरासत का प्रतीक और संस्कृति का दर्पण महाकुंभ का पावन पर्व एक ऐसा आयोजन है जो आस्था, परम्परा और अध्यात्मिकता को दर्शाता है।

इस अवसर पर जगदीश कुमार, मुल्ख राज, विमल कांत, हरपाल सिंह, एसके अरोरा, रोहतास सिंह, जयपाल सिंह, राम पाल सिंह, नरेश ओबेरॉय, राजेन्द्र त्यागी, सत्यवान यादव, जगदीश आनंद, हेमलता, शीला रानी आदि उपस्थित रहे। मंच संचालन चक्र धर प्रसाद मनोड़ी ने किया।

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