नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ. समवशरण विधान के आज चौथे दिन 216 अर्घ समर्पित किए गए। आज प्रातः काल 6:30 बजे जिनेंद्र भगवान का अभिषेक किया गया। आचार्य श्री ज्ञेय सागर के निर्देश अनुसार सीमा पर तैनात सेवा के जवानों की उन्नति के लिए शांति धारा की गई।
मुनि श्री नियोग सागर ने प्रवचन करते हुए बताया कि हम मनुष्य 84 लाख योनियों में भ्रमण करते रहते हैं। समवसरण विधान में बैठने वालों को नरको के दुखों से छुटकारा मिल जाता है, उन्हें सर्दी गर्मी नहीं लगती है । मुनि श्री ने बताया कि णमोकार महामंत्र सभी मंत्रो का राजा है इसे जपने से 500 सागर के पाप कट जाते हैं। समवशरण की महिमा का विश्लेषण करते हुए मुनि श्री ने कहा की समवशरण की कल्प भूमि में 10 प्रकार के कल्पवृक्ष होते हैं। आचार्य श्री ने बताया कि यदि हम अपने जीवन में खुशहाली चाहते हैं तो हमें प्रतिदिन मंदिर अवश्य जाना चाहिए तथा एक दिन में एक बार जरूर परिवार के सदस्यों को साथ बैठकर भोजन करना चाहिए।
इस अवसर पर सदर जैन समाज, वीर नगर जैन समाज, कालिंदी कुंज समाज से आए व्यक्तियों का साधु सेवा समिति द्वारा स्वागत किया गया। लकी ड्रॉ द्वारा भाग्यशाली विजेता मोती रानी जैन, सरस्वती लोक को चांदी का आरती का थाल प्रदान किया गया। इस अवसर पर वीरेंद्र जैन, अजय जैन, विपिन जैन, सुनील प्रवक्ता, अभिनव जैन, सचिन जैन तथा आलोक जैन आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे
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