नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ. स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के भाषा विभाग एवं जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी द्वारा जेंडर सेंसिटाइजेशन से संबंधित अतिथि व्याख्यान आयोजित किया गया। जिसका विषय लिंग आधारित हिंसा और एलजीबीटीक्यू के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण रहा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता डॉ. श्रुति नागर (सहायक आचार्य नोएडा इंटरनेशनल विश्वविद्यालय) रही। कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की वंदना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुई। सम्मान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में प्रोफेसर सुधीर त्यागी, डॉ. सीमा शर्मा, डॉ. सारिका एवं डॉ. रफत खानम ने मुख्य अतिथि डॉ. श्रुति नागर को पौधा एवं अंगवस्त्र भेंट किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वक्ता डॉ. श्रुति नागर ने जेंडर सेंसिटाइजेशन से संबंधित अपने विचार प्रकट किए जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे अपने आस पास लैंगिक असामान्यताएं, लिंग आधारित हिंसा जो किसी व्यक्ति या समूह को उसके लिंग के आधार पर लक्षित की जाने वाली हिंसा है, के बारे मैं विस्तार से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि लिंग आधारित हिंसा के प्रति कार्यक्रम प्रक्रियाओं को व्यक्ति, परिवार और समुदायों या राज्यों के संदर्भ से अलग करके नहीं देखा जा सकता। जेंडर बेस्ड वायलेंस हिंसा का हिस्सा है और इससे प्रभावित लोगों में नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार प्रभावित होते हैं। उन्होंने इन सब हिंसा व भेदभाव को कम करने के लिए विद्यार्थियों को जागरूक किया। डॉ. श्रुति नागर ने लिंग संवेदनशीलता तथा एलजीबीटीक्यू के बारे में एक व्यावहारिक और जागरूकता से परिपूर्ण व्याख्यान दिया।
भाषा विभाग की अध्यक्ष डॉ सीमा शर्मा ने भी लिंग संवेदनशीलता से संबंधित विचार प्रकट किए जिसमें उन्होंने बताया कि लिंग संवेदनशीलता का उद्देश्य एकसमान व न्यायपूर्ण समाज बनाना है जहाँ व्यक्तियों के साथ उनके लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता यह लोगों को लिंग समानता या लिंग भेदभाव कर खत्म करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने की प्रक्रिया है।
जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी की अध्यक्ष डॉ. सारिका के द्वारा भी विद्यार्थियों को लिंग संवेदनशीलता के बारे में जागरूक किया जिसमें उन्होंने बताया कि लिंग संवेदनशीलता न केवल हमारे समाज के लिए ही अत्यंत महत्वपूर्ण है बल्कि हर व्यक्ति के व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में समानता और सम्मान की भावना को विकसित करने के लिए अनिवार्य हैं।
कार्यक्रम के अंत में अंग्रेजी को विदेशी भाषा की प्रभारी एवं भाषा विभाग के जेंडर सेंसटाइजेशन कमेटी की नोडल अधिकारी डॉ. रफत खानम ने लिंग संवेदनशीलता से संबंधित विचारों से विद्यार्थियों को जागरूक किया।
कार्यक्रम का संचालन शिखा शर्मा एम.ए हिंदी द्वितीय वर्ष की छात्रा एवं विधि चौहान बी.ए ऑनर्स इंग्लिश प्रथम वर्ष की छात्रा द्वारा किया गया।
कार्यशाला में संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ सुधीर त्यागी, भाषा विभाग अध्यक्ष डॉ सीमा शर्मा, जेंडर सेंसिटाइजेशन अध्यक्ष डॉ सारिका, भाषा विभाग की जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी की नोडल अधिकारी डॉ. रफत खानम, एवं विश्वविद्यालय की विभिन्न विभागों की जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी के नोडल अधिकारी डॉ. नीरू सिंह, डॉ. शैली चौधरी, डॉ. कायनात, डॉ.रितु शर्मा, डॉ. अर्चना, डॉ. दिव्या, डॉ. अनुज, डॉ. अंकित, मिस स्वाति, डॉ राजेश्वर पाल चौहान, डॉ. आशीष दीपांकर, एवं विश्वविद्यालय के समस्त विभागों के जेंडर चैंपियन तथा भाषा विभाग के छात्र मयंक, फहद, भूमि, ख़ुशी इत्यादि कार्यक्रम में मौजूद रहे।
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