Breaking

Your Ads Here

Sunday, December 8, 2024

बौद्धिक संपदा अधिकार एवं पेटेंट व डिजाइन दाखिल करने पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन




अनम शेरवानी 
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ के प्रबंधन एवं वाणिज्य संकाय एवं विश्वविद्यालय के संकाय विकास प्रकोष्ठ द्वारा भारत सरकार के राजीव गांधी राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा प्रबंधन संस्थान, नागपुर के सहयोग से “बौद्धिक संपदा अधिकार एवं पेटेंट और डिजाइन दाखिल करने पर एक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन के तहत आयोजित किया गया। जिसमें प्रतिभागियों से अभूतपूर्व प्रतिक्रिया प्राप्त हुई।

कार्यशाला में कुमार राजू, पेटेंट और डिजाइन के सहायक नियंत्रक नागपुर द्वारा एक महत्वपूर्ण प्रस्तुति दी गई। इस सत्र में प्रतिभाग करने के लिए 250 से अधिक पंजीकरण प्राप्त हुए। कुलपति मेजर जनरल डॉ जी के थपलियाल एवं सीईओ डॉ शल्या राज ने कार्यशाला की सफलता हेतु अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. डॉ. पद्मा मिश्रा ने प्रतिभागियों का स्वागत किया। 

प्रो. डॉ.आर.के. घई (डीन प्रबंधन एवं वाणिज्य संकाय व निदेशक)  ने तेजी से विकसित होते शैक्षिक और व्यावसायिक परिदृश्य में बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला छात्रों और संकाय सदस्यों के लिए बौद्धिक संपदा के महत्व को समझने का एक अनमोल अवसर है, जो आज के ज्ञान-आधारित दुनिया में अत्यधिक आवश्यक है। उन्होंने बताया कि प्रतिभागियों को बौद्धिक संपत्ति को सुरक्षित करने और पेटेंट और डिजाइन दाखिल करने की प्रक्रिया की महत्वपूर्णता को जानने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. गौरव कुमार शर्मा ने मुख्य वक्ता कुमार राजू का परिचय कराया।

मुख्य वक्ता कुमार राजू ने बौद्धिक संपदा अधिकार पर एक समग्र और आकर्षक प्रस्तुति दी, जिसमें पेटेंट और डिजाइन दाखिल करने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि मानव मस्तिष्क से बनी किसी भी चीज़ का स्वामित्व का अधिकार, इसमें आविष्कार, साहित्यिक और कलात्मक कार्य, डिजाइन, और प्रतीक शामिल हैं। इन सभी को बौद्धिक संपदा अधिकार के ज़रिए अपनी बौद्धिक संपदा सुरक्षित रखी जा सकती है। इसके लिए आवेदक कॉपीराइट कार्यालय में मैन्युअल रूप से या आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध ई-फाइलिंग सुविधा के माध्यम से दाखिल हेतु आवेदन कर सकते है। सत्र में एक प्रश्नोत्तर खंड भी था, जहां छात्रों और संकाय सदस्यगण ने वक्ता से आईपीआर कानूनों और उनके व्यावहारिक प्रभावों पर सक्रिय रूप से प्रश्न किए। कार्यक्रम का समापन प्रो. डॉ. पद्मा मिश्रा द्वारा आभार ज्ञापन के साथ हुआ,

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here