राहुल गौतम
नित्य संदेश, मेरठ. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय स्थित हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग द्वारा भारतीय भाषा दिवस 2024 के क्रम में 'भारतीय भाषाएं और लिपियां' विषय पर प्रो. सुनील कुलकर्णी (निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा विशेष व्याख्यान) का आयोजन किया गया.
प्रो. सुनील कुलकर्णी ने कहा कि भारत भाषा विविधता का देश है यहां कोस कोस पर भाषा बदलता है किंतु इस अनेकता में भी एकता है यही भारतीय संस्कृति की पहचान है। अपनी मातृभाषाओं के उत्थान और विकास के लिए और प्रयास किए जाने शेष हैं। राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत की भांति एक राष्ट्रभाषा भी होनी चाहिए। हिंदी विश्व भाषा है। व्यापार की भाषा है। साहित्य की भाषा है किंतु राष्ट्रभाषा होने के लिए अपने ही देश में संघर्ष कर रही है। भारत में लिपियों का इतिहास बहुत प्राचीन है जो भारतीय सभ्यता के विकास का परिसूचक है किंतु लिपियों में एक ही लिपि के भीतर विभिन्न भेद भी भाषाई अन्तरविरोध को दर्शाते हैं। मराठी और हिंदी भाषा में एक लिपि होते हुए भी रचनात्मक रूप में कई भेद हैं। अपनी भाषाओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए हमें और अधिक प्रयत्न करने होंगे और अपनी भाषाओं को तकनीक और रोजगार से जोड़ना होगा।
कार्यक्रम का संयोजन विभागध्यक्ष एवं वरिष्ठ आचार्य प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन सहायक आचार्य डॉ अंजू ने किया। इस अवसर पर डॉक्टर प्रवीण कटारिया, डॉ आरती राणा, डॉक्टर यज्ञेश कुमार, डॉ विद्यासागर, रेखा सोम, पूजा यादव, विनय कुमार, विक्रांत उपस्थित रहे।
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