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Thursday, January 30, 2025

अज़ीम कुर्बानियों की वजह से ही आज इमाम हुसैन व शौहदाये कर्बला की यादें अकीदत मंदों के दिलों में जिंदा हैं: मौलाना रईस अहमद

 
नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। हजरत इमाम हुसैन व उनके कुन्बे के मुकद्दस मदीने से करबला इराक के लिये सन् 61 हिजरी में किये गये सफर की याद में शहर सहित लोहिया नगर, जैदी फार्म तथा शास्त्री नगर में गमगीन माहौल में मजलिसों का आयोजन किया गया. इस सिलसिले में सैक्टर 4 शास्त्री नगर स्थित शाहजलाल हाॅल में औन मौ. जैदी की जानिब से एक बड़ी मजलिस हुई। 

अली मिशन सोसायटी के संयोजक अली हैदर रिज़वी के संचालन में प्रारम्भ हुई 22वे दौर की मजलिस का आगाज सुहैल असगर काज़मी ने पुरसौज सौजख्वानी से किया। 
इनके उपरान्त सुप्रसिद्ध आलिम विद्वान मौलाना रईस अहमद रिज़वी जारचवी ने मजलिस को खिताब करते हुऐ कहा कि आज का दिन बड़ा ही गमनाक है. सन 61 हिजरी में उस वक्त के जालिम हुक्मराँ यजीद की बैअत न करते हुये हजरत इमाम हुसैन व उनके कुन्बे ने अपने नाना हजरत मौहम्मद मुस्तुफा के वतन की सरजमीन मुकद्दस मदीना को अलविदा कहकर कर्बला इराक के लिये मुश्किल तरीन सफर इख्तियार किया ताकि मुकद्दस जमीन मैदान-ए-जंग न बन पाये। 

6 माह के तवील सफर के बाद कर्बला पहुंचकर इमाम हुसैन ने यहां जमीन खरीदी और नहरे फरात के पास अपने खेमे लगा दिये। यज़ीद ने नहरे फरात पर अपनी फौज के पहरे बिठा दिये और 7 मौहर्रम से इनके कुन्बे पर पानी बंद कर दिया, ताकि इमाम हुसैन मजबूर होकर यज़ीद की बेअत कर ले लेकिन इमाम हुसैन व उनके 71 जानिसारों ने दीन-ए-इस्लाम के उसूलों और इंसानियत को बचाने के लिये अपनी शहादत पेश की, इन अज़ीम कुर्बानियों की वजह से ही आज भी इमाम हुसैन व शौहदाये कर्बला की यादें अकीदत मंदों के दिलों में जिंदा हैं और हर वर्ष करोड़ों हुसैनी अकीदतमंदर इमाम हुसैन के रोजे मुबारक की जियारत के लिये कर्बला इराक जाते हैं। 

मजलिस के बाद औन मौ. के निवास 612/4, शास्त्री नगर से अलम-ए-मुबारक व जुलजनाह बरामद होकर शाहजलाल हाॅल पहुंचा, जिसमें अंजुमन फौजे हुसैनी जैदी फार्म ने मातम व नौहेख्वानी की, इस दौरान नौशाद अली जैदी, मासूम रज़ा, सैयद जोन जै़दी, हैदर अब्बास रिज़वी, साहिल जै़दी, मौ. फैसल जै़दी सहित बड़ी संख्या में हुसैनी सौगवार शामिल रहे। इसके अतिरिक्त इमामबारगाह हुसैनी, (मुबारक हुसैनी), जैदी फार्म में मुसर्ररत अली जै़दी व बिरादरान की जानिब से आयोजित मजलिस में मौलाना राशिद अली की तकरीर के बाद जुलुस-ए-अमारी बरामद हुआ जो विभिन्न रास्तों से होता हुआ कर्बला जैदी नगर सोसायटी पहुंचकर सम्पन्न हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में हुसैनी सौगवार शरीक रहे। 


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