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Tuesday, January 21, 2025

लिबरल आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज विभाग में अतिथि व्याख्यान का आयोजन


अनम शेरवानी 
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के कला और सामाजिक विज्ञान संकाय के लिबरल आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज विभाग में "भारत को परिवर्तित करने में भारतीय ज्ञान प्रणाली की प्रासंगिकता" विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. भूपेंद्र प्रताप सिंह ने व्याख्यान दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी के प्रेरक उद्बोधन से हुई। उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रणाली की महत्ता और उसकी वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली केवल प्राचीन ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आज भी हमारे सामाजिक और आर्थिक जीवन में सुधार लाने में सक्षम है। उन्होंने छात्रों को प्राचीन भारतीय ग्रंथों और उनके आधुनिक उपयोगों के बारे में जागरूक किया।

डॉ. अमृता चौधरी (सहायक प्रोफेसर) ने छात्रों को संबोधित करते हुए भारतीय ज्ञान प्रणाली के विभिन्न पहलुओं पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने भारतीय दर्शन, योग, आयुर्वेद, और शिक्षा प्रणाली के महत्व को रेखांकित किया। डॉ. चौधरी ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली न केवल भारत के भीतर, बल्कि विश्व स्तर पर एक नई दिशा प्रदान कर सकती है। उन्होंने छात्रों को इसके गहन अध्ययन के लिए प्रेरित किया।

मुख्य वक्ता डॉ. भूपेंद्र प्रताप सिंह ने भारतीय ज्ञान प्रणाली की भूमिका को विस्तार से समझाया और यह कैसे भारत को वैश्विक स्तर पर सशक्त बना सकती है, इस पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली में वह क्षमता है जो न केवल भारत को आत्मनिर्भर बना सकती है, बल्कि इसे एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकती है। डॉ. सिंह ने विशेष रूप से छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें भारतीय ज्ञान प्रणाली के मूलभूत सिद्धांतों को समझने और अपने जीवन में उनका अनुप्रयोग करने का प्रयास करना चाहिए। डॉ. सिंह ने भारतीय ज्ञान प्रणाली के तीन प्रमुख स्तंभों - योग, वेद, और आयुर्वेद - पर गहराई से चर्चा की। उन्होंने बताया कि योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक शांति और ध्यान के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। आयुर्वेद के संदर्भ में उन्होंने इसे एक समग्र चिकित्सा पद्धति के रूप में व्याख्यायित किया, जो आज के समय में भी प्रासंगिक है।

अतिथि व्याख्यान के अंत में छात्रों ने विषय से संबंधित प्रश्न पूछे, जिनका मुख्य वक्ता ने विस्तार पूर्वक उत्तर दिया. कार्यक्रम का समापन विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस कार्यक्रम में अन्य संकाय सदस्य डॉ. दुर्वेश कुमार, डॉ. नीयति गर्ग, और डॉ. लवली ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इन सभी ने छात्रों को भारतीय ज्ञान प्रणाली की महत्ता के प्रति जागरूक करने के लिए अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. दिनेश कुमार ने किया। छात्रों में अमन यादव, सिया शर्मा, हुजैफा रिज़वी, शिवानी, आकाश, वंशिका चौधरी, अंकित और अनुष्का जौला प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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