अनम शेरवानी
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के लिबरल आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज विभाग में "सावित्रीबाई फुले आधुनिक भारत की सामाजिक सुधारक" विषय पर एक प्रेरणादायक व्याख्यान आयोजित किया गया। इस व्याख्यान में सावित्रीबाई फुले के योगदान को व्यापक रूप से समझाया गया, जिन्होंने शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए।
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष और एसोसिएट प्रोफेसर, ने सावित्रीबाई फुले के जीवन और उनके कार्यों पर गहन चर्चा की। सावित्रीबाई फुले का नाम न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि समाज सुधार और महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई में भी स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। उन्होंने बताया कि सावित्रीबाई और ज्योतिराव ने 1848 में पुणे में भारत का पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया। यह कदम उस समय के सामाजिक और धार्मिक रूढ़ियों के खिलाफ एक क्रांति थी। सावित्रीबाई ने इस विद्यालय में पढ़ाने का कार्य खुद किया और भारत की पहली महिला शिक्षिका बनीं। उन्होंने यह दिखा दिया कि शिक्षा केवल पढ़ाई का माध्यम नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का सबसे बड़ा हथियार है। सावित्रीबाई ने समाज के वंचित वर्गों और दलितों के लिए भी शिक्षा का द्वार खोला। उन्होंने जातिवाद, सती प्रथा, बाल विवाह, और विधवाओं के शोषण जैसी बुराइयों का डटकर विरोध किया। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा देकर उन्हें आत्मनिर्भर और जागरूक बनाने की दिशा में काम किया। सावित्रीबाई केवल शिक्षा तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने विधवाओं के पुनर्विवाह का समर्थन किया
डॉ. दुर्वेश ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने सावित्रीबाई फुले के सामाजिक सुधारों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रखते हुए उनके योगदान को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बताया कि सावित्रीबाई फुले ने महिला शिक्षा के माध्यम से समाज में क्रांति की शुरुआत की और यह कार्य किसी चमत्कार से कम नहीं था।
डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि सावित्रीबाई फुले के योगदान को नारी सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर बताया। डॉ. दिनेश ने कहा कि सावित्रीबाई का साहस और दूरदर्शिता हमारे समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। उनके विचार आज भी शिक्षा और सामाजिक सुधार के लिए मार्गदर्शक हैं।
इस व्याख्यान का समन्वयन डॉ. अमृता चौधरी, सहायक प्रोफेसर ने किया। कार्यक्रम में विभाग की फैकल्टी सदस्य डॉ. नियति गर्ग और डॉ. लवली भी उपस्थित रहीं। छात्रों में अतुल कौशिक, मंजीत गोस्वामी, पुनीत गोस्वामी, अलिश, ध्रुव, अनुष्का जावला, ऐलिस, एहसास राघव, और अनिकेत कुमार सिंह उपस्थित रहे। सभी ने व्याख्यान को बड़े ध्यान से सुना और सावित्रीबाई फुले के कार्यों से प्रेरणा ली।
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