नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में मरीजो के हित में नित जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाते है। इसी क्रम में गुरुवार को लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत महात्मा गांधी की पुण्यतिथि से 13 फरवरी 2025 तक राष्ट्रीय कुष्ठ निवारण दिवस एवं स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के अंतर्गत जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
भारत में विश्व कुष्ठ दिवस 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों का सम्मान करने, इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और कुष्ठ रोग से संबंधित कलंक और भेदभाव को समाप्त करने का आह्वान करने का अवसर है। इस वर्ष विश्व कुष्ठ दिवस 2025 का थीम है " एकजुट हो जाओ। काम करो। खत्म करो। " जिसका उद्देश्य कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना, कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करना और कुष्ठ रोग को खत्म करने के लिए सहयोगात्मक कार्रवाई को प्रेरित करना है।
उक्त कार्यक्रम में चर्म रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अमरजीत सिंह ने बताया कि कुष्ठ रोग सदियों से चली आ रही संक्रामक बीमारी है, दुनियाभर में लाखों लोग इस संक्रमण के शिकार हुए हैं। त्वचा पर विकृत घाव होने और तंत्रिकाओं को क्षति पहुंचाने वाली इस रोग पर अब काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है पर अब भी अफ्रीका और एशिया के कई देशों में कुष्ठ रोग के लाखों रोगी हैं। वैश्विक स्तर पर कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने, रोगियों को इलाज के लिए प्रेरित करने और कुष्ठ को लेकर फैली सामाजिक कलंक की भावना को दूर करने के उद्देश्य से हर साल जनवरी महीने के आखिरी रविवार को विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है। पूरी दुनिया में कुष्ठ रोग के बारे में लोगों के मन में गलत और अवैज्ञानिक धारणाएं हैं।
चर्म रोग विभाग की आचार्य डॉ आकांक्षा आस्तिक ने बताया कि कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री जीवाणु के कारण होने वाली बीमारी है, कुष्ठ रोग एक दीर्घकालिक संक्रमण है जो मांसपेशियों में कमजोरी, त्वचा पर घाव, हाथ, पैर, टांगों और हाथों में सुन्नता की भावना जैसे लक्षणों का कारण बनता है। कुष्ठ रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया बहुत धीरे-धीरे बढ़ते हैं इसलिए संक्रमण के लक्षण दिखने में कई वर्ष लग सकते हैं।
विभाग की सह-आचार्य डॉ सौम्या सिंघल ने इस बीमारी के इलाज के संबंध में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग का इलाज संभव है, संक्रमण के इलाज के लिए कई प्रभावी एंटीबायोटिक्स उपलब्ध हैं। वर्ष 1995 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी प्रकार के कुष्ठ रोग के इलाज के लिए मल्टीड्रग थेरेपी विकसित की थी। ये दवाएं संभावित रूप से बैक्टीरिया को मार सकती हैं और बालों के झड़ने, विकृति, विकलांगता, अंधेपन जैसी इस रोग की जटिलताओं को भी रोक सकती हैं। कुष्ठ रोग से केवल बुजुर्गों में होता है। कुष्ठ रोग उम्र विशेष पर निर्भर नहीं करता। यह किसी भी समय किसी को भी प्रभावित कर सकता है। कुष्ठ रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया की लंबी ऊष्मायन अवधि (संक्रमण होने के बाद लक्षण दिखने में लगने वाला समय) अधिक होता है, यही कारण है कि इसके लक्षण देर से विकसित होते हैं। ऐसे कई मामले हैं जिनमें कोई व्यक्ति वयस्कता के दौरान संक्रमण से प्रभावित हुआ और बुढ़ापे में उसमें लक्षण देखे गए हैं।
उक्त जागरूकता अभियान में विभाग के रेसिडेंट चिकित्सकों ने ज़िलाधिकारी महोदय द्वारा जारी संदेश भी मरीज़ो को पढ़कर सुनाया।
उपरोक्त जागरूकता अभियान में डॉ अरविंद कुमार, डॉ राहुल सिंह, चर्म रोग विभाग के जूनियर व सीनियर रेसिडेंट, नर्सिंग स्टाफ, कर्मचारीगण आदि उपस्थित रहे। मेडिकल कॉलेज मेरठ के प्राचार्य डॉ आर सी गुप्ता ने राष्ट्रीय कुष्ठ निवारण दिवस एवं स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाये जाने हेतु चर्म रोग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं उनकी टीम को शुभकामनाएँ दी तथा भविष्य में भी इस तरह के जागरूकता अभियान चलाये जाने हेतु प्रेरित किया।
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