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Friday, February 7, 2025

चिति का सुन्दर उदाहरण प्रयागराज में चल रहा महाकुंभ है: डॉ. सच्चिदानंद जोशी

 



-चिति संवाद, साहित्य और कलाओं में चिति विमर्श पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

अनम शेरवानी

नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के राहुल सांकृत्यायन सुभारती स्कूल ऑफ लिंग्विस्टिक्स एंड फॉरेन लैंग्वेजिज  (भाषा विभाग) तथा कला एवं सामाजिक विज्ञान संकाय एवं अखिल भारतीय राष्ट्रवादी लेखक संघ दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय चिति संवाद, साहित्य और कलाओं में चिति विमर्श रहा।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी, सुभारती विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति कर्नल डॉ. देवेन्द्र स्वरुप, कार्यक्रम अध्यक्ष जम्मू कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री व इतिहासकार प्रो. निर्मल सिंह, विशिष्ट अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की उपाध्यक्ष व केन्द्रीय साहित्य अकादमी की अध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा, पूर्व आईएएस अधिकारी सत्येन्द्र सिंह, अखिल भारतीय राष्ट्रवादी लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष व आकाशवाणी महानिदेशालय के पूर्व निदेशक सोमदत्त शर्मा, कार्यक्रम संयोजक एवं अध्यक्ष भाषा विभाग डॉ. सीमा शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. जीके थपलियाल एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शल्या राज व कार्यकारी अधिकारी डॉ कृष्णा मूर्ति  ने दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन पर अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। चिति संवाद की प्रस्तावना अखिल भारतीय राष्ट्रवादी लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष सोमदत्त शर्मा द्वारा की गई।

मुख्य अतिथि डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि सतत विकास के साथ चरित्र निर्माण पर भी ध्यान देने की अति आवश्यकता है। भारत एक बुद्धिजीवी समाज वाला देश है और गौरवशाली संस्कृति के साथ रचनात्मकता के लिए विश्व भर में विख्यात है। आज एआई तकनीक ने रचनात्मकता को खत्म करने का कार्य किया है। इससे हमारी नैसर्गिक रचनात्मक क्षमताओं का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में चल रहे भव्य महाकुम्भ चिति का गौरवशाली उदाहरण है। हम अपने संस्कार  व परम्परा को अपनाकर चिति के उद्देश्यों को पूर्ण कर सकते है। पूर्व आईएएस सत्येंद्र सिंह ने साहित्य और कलाओं में चिति की भूमिका पर प्रकाश डाला।

धन्यवाद ज्ञापन कला और सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो. सुधीर त्यागी ने दिया। उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय संगोष्ठी में विभिन्न सत्रों के माध्यम से देशभर से आए विद्वान द्वारा विषय पर सभी का ज्ञान वर्धन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संगोष्ठी में लगभग 18 राज्यों के अतिथिगण उपस्थित रहे और 100 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य बौद्धिक चर्चा को बढ़ावा देना, ज्ञान, शोध निष्कर्षों और अंतर्दृष्टि पर चर्चा करना और युवाओं में वैज्ञानिक चेतना और विश्लेषणात्मक सोच की भावना पैदा करना हैं।

कार्यक्रम का संचालन व संयोजक भाषा विभागाध्यक्ष डॉ. सीमा शर्मा ने किया। आयोजन करने में प्रो. राजेश्वर पाल, डॉ. सीमा शर्मा, डॉ. रफ़त खानम, डॉ. आशीष कुमार ‘दीपांकर’, डॉ. निशि राघव, डॉ. मनीषा लूथरा, स्वाति, डॉ. यशपाल, डॉ. रणवीर सिंह, अंकित, सान्य अग्रवाल रहे। इसी क्रम में भाषा विभाग के शोधार्थी, परास्नातक एवं स्नातक के समस्त छात्र-छात्राओं का कार्यक्रम सहयोग में विशेष योगदान रहा।

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