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Friday, February 7, 2025

मनुष्य को एक भी श्वास बिना ईश्वर का स्मरण करें नहीं बितानी चाहिए: आचार्य विनय शास्त्री


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। आभा मानव मंदिर वरिष्ठ नागरिक सेवा सदन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन ध्रुव चरित्र, जड़ भरत जी का चरित्र, नरकों का वर्णन, अजामिल एवं श्रवण कुमार की कथा, भक्त प्रहलाद चरित्र, नरसिंह अवतार चरित्र प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन किया गया। 

कथा व्यास आचार्य विनय शास्त्री ने कहा कि यह जन्म ईश्वर की भक्ति एवं ईश्वर के पवित्र नाम के सुमिरन के लिए मिला है। मनुष्य को एक भी श्वास बिना ईश्वर का स्मरण करें नहीं बितानी चाहिए। प्रत्येक श्वास में भगवान का नाम जपना चाहिए. श्वास श्वास में नाम रट, श्वास ना वृथा खोय, न जाने किस श्वास का, आवन होय न होय. उन्होंने कहा आज कल हम अपने बच्चों को सब कुछ सिखाते हैं, लेकिन भगवान से मिलना नहीं सिखाते, भगवान के बारे में नहीं बताते। यदि कोई बेटा अपने काम पर जाते समय अपने माता-पिता के चरण छूकर, उनका आशीर्वाद लेकर जाए तो निश्चित ही उसके सारे काम बनते हैं. आजकल लोग एक दूसरे की बुराई करते रहते हैं और आपस में वैर भाव रखते हैं और झगड़े बढ़ते जाते है। बुराई करने वाले तुम्हारे हितेषी हैं, वे तुम्हें तुम्हारी कमियां बता रहे हैं, नहीं तो मानव का स्वभाव है कि उसे अपनी कमियों के बारे में पता ही नहीं चलता। उन कमियों का विश्लेषण करना चाहिए और मनुष्य को उन्हें दूर करना चाहिए। एससी गोविल, एव आभा गोविल ने व्यास पीठ का पूजन किया। 

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