Breaking

Your Ads Here

Saturday, February 1, 2025

हू इज़ रेज़िंग योर चिल्ड्रन? पुस्तक विमोचन ने भारत की शिक्षा प्रणाली के भविष्य पर गहराई से विचार-विमर्श किया


नित्य संदेश ब्यूरो 
नई दिल्ली: शोभित विश्वविद्यालय द्वारा प्रसिद्ध विचारक  राजीव मल्होत्रा और सह-लेखिका विजया विश्वनाथन की पुस्तक " हू इज़ रेज़िंग योर चिल्ड्रन?" का भव्य विमोचन कांस्टीट्यूशनल क्लब ऑफ इंडिया नई दिल्ली में किया. इस महत्वपूर्ण अवसर पर शिक्षाविदों, नीति-निर्माताओं, राजनयिकों, समाजसेवियों, एवं मीडिया विशेषज्ञों की उपस्थिति में भारतीय शिक्षा प्रणाली, वैचारिक प्रभावों एवं वैश्विक शक्तियों की बढ़ती भूमिका पर गहन मंथन किया गया।

इस कार्यक्रम ने शिक्षाविदों, नीति-निर्माताओं, नौकरशाहों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शोधकर्ताओं, स्कूल प्राचार्यों एवं युवा विद्वानों को एक मंच पर लाकर यह संदेश दिया कि भारत को अपनी शिक्षा व्यवस्था पर पुनः नियंत्रण स्थापित करने की आवश्यकता है। यह पुस्तक दर्शाती है कि वैश्विक संस्थाएं, तकनीकी नीतियां एवं वैचारिक आंदोलनों के माध्यम से किस प्रकार भारतीय मूल्यों और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से भटके हुए दृष्टिकोण नई पीढ़ी पर थोपे जा रहे हैं।

मुख्य अतिथिगण एवं वक्ता:
इस अवसर पर प्रख्यात गणमान्य व्यक्तियों ने शिक्षा प्रणाली के बदलते परिदृश्य और बाहरी प्रभावों से उत्पन्न चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त किए। 

प्रमुख अतिथियों में शामिल थे:
राजेंद्र अग्रवाल, पूर्व सांसद, लोकसभा, मेरठ
प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, अध्यक्ष, NETF, NAAC एवं NBA; पूर्व अध्यक्ष, AICTE
प्रो. डी.पी. सिंह, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के सलाहकार; पूर्व अध्यक्ष, UGC
प्रो. पंकज मित्तल, महासचिव, AIU; अध्यक्ष, SSU NYAS
डॉ. आर.सी. अग्रवाल, उप-महानिदेशक, ICAR
कुंवर शेखर विजेंद्र, सह-संस्थापक एवं कुलाधिपति, शोभित विश्वविद्यालय
राजीव मल्होत्रा ने अपने मुख्य संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान में विद्यालयी शिक्षा केवल ज्ञान-प्रदान तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह वैचारिक संघर्ष का एक माध्यम बनती जा रही है। उन्होंने चिंता जताई कि विदेशी संस्थानों एवं बाहरी प्रभावों ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को अपने नियंत्रण में ले लिया है, जिससे भारतीय सभ्यता, संस्कृति एवं परंपराओं की अनदेखी हो रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "यदि हमने इन बदलावों को पहचानकर आवश्यक कदम नहीं उठाए, तो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को ऐसे आख्यानों के हवाले कर देंगे जो हमारी जड़ों से मेल नहीं खाते।"

शिक्षा में वैश्विक वैचारिक हस्तक्षेप का प्रभाव:
पुस्तक की सह-लेखिका विजया विश्वनाथन ने कहा कि सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा एवं व्यापक लैंगिक शिक्षा जैसी अवधारणाओं के माध्यम से भारत की पारंपरिक पारिवारिक संरचना एवं सांस्कृतिक पहचान को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "हमें यह विचार करना होगा कि क्या हम अपने बच्चों को आत्मनिर्भर और अपनी संस्कृति से जुड़े नागरिक बना रहे हैं, या उन्हें ऐसे वैश्विक विचारों के अधीन कर रहे हैं जो उन्हें अपनी जड़ों से काट रहे हैं?"
शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने बल देते हुए कहा कि भारत को अपनी शिक्षा प्रणाली पर पुनः नियंत्रण स्थापित करना होगा और इसे भारतीय परंपराओं एवं ज्ञान-संस्कृति से जोड़ना होगा। उन्होंने कहा, हमारी शिक्षा प्रणाली को आधुनिक तकनीक और नवाचार के साथ संतुलित करना आवश्यक है, लेकिन यह हमारे राष्ट्रीय गौरव और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखते हुए होना चाहिए।
 
राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा नीति को भारत के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप होना चाहिए, न कि बाहरी ताकतों के प्रभाव में। प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने डिजिटल शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए आगाह किया कि तकनीक का उपयोग शिक्षा में सहायक होना चाहिए, न कि किसी वैचारिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का माध्यम।

प्रो. डी.पी. सिंह ने उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को ज्ञान और शोध के केंद्र बने रहना चाहिए, न कि वैचारिक संघर्ष का मंच। प्रो. पंकज मित्तल ने पाठ्यक्रम स्वायत्तता की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि विदेशी संस्थानों को यह तय करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि हमारे विद्यार्थी क्या पढ़ें। डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने चेताया कि यदि हमारी शिक्षा प्रणाली राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक समझ को प्रोत्साहित नहीं करती, तो देश की प्रगति बाधित हो जाएगी।

निष्कर्ष
" हू इज़ रेज़िंग योर चिल्ड्रन?" पुस्तक भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए एक चेतावनी के रूप में उभरती है। यह सभी शिक्षाविदों, नीति-निर्माताओं एवं माता-पिताओं से आह्वान करती है कि वे शिक्षा को बाहरी प्रभावों से मुक्त कर, इसे एक बौद्धिक और नैतिक विकास का साधन बनाएं, न कि किसी वैचारिक प्रचार का माध्यम।

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here