नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। आभा मानव मंदिर वरिष्ठ नागरिक सेवा सदन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन आचार्य विनय शास्त्री ने कंस वध, भगवान श्रीकृष्ण का मथुरा गमन, गोपी विरह, उद्धव का गोपियों को संदेश, रुक्मणी विवाह प्रसंग की कथा सुनाई। जब श्री कृष्ण मथुरा जाने लगे तो यह यशोदा मैया रोने लगी.
*कान्हा लेता है ब्रज से विदाई कि मैया मोहे याद ना करें*
राधा जी श्री कृष्ण के जाने पर कहती है
*तुम्हे श्याम वंशी बजाना नही था,*
*मेरा मन मुझी से चुराना नही था*
मथुरा जाकर भगवान ने कंस का वध किया. उद्धव ने जब भगवान कृष्ण को गोपियों के विरह में दुखी होते हुए देखा तो भगवान कृष्ण ने कहा कि मुझे गोपियों का निस्वार्थ प्रेम याद आ रहा है .उन्होंने कहा कि राधा श्याम से कहीं अलग नहीं है दोनों एक ही है। उसके बाद श्री कृष्णा रुक्मणी की विवाह की कथा सुनाई.
आभा गोविंल, मंजरी गुप्ता, सुरेश चंद्र गोविंल ने सभी को विवाह की बधाई दी और प्रसाद बाटा। आचार्य ने कहा कि भगवान को प्रेम से ही पाया जा सकता है. भगवान प्रेम के अधीन है, प्रेम की वशीभूत होकर अपने भक्तों की अधीन रहते है और हमेशा भक्तों की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं.
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