विश्व
पुस्तक मेले में प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी की पुस्तक "शिकवा जवाब शिकवा"
का लोकार्पण समारोह
मेरठ। आज यह बहुत खुशी
की बात है कि भारत में नामिक पब्लिकेशन द्वारा आयोजित विश्व पुस्तक मेले में
प्रोफेसर अखलाक अहान, जावेद दानिश, कनाडा की पुस्तकों के अलावा प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी के कथा
संग्रह "शिकवा जवाब शिकवा" का भी लोकार्पण हुआ और विदेशों से भी मेहमान
आए थे। इन किताबों का औपचारिक विमोचन यह साबित करता है कि उर्दू का भविष्य उज्ज्वल
है। हम उर्दू को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस उद्देश्य से
हमने यहां एक बड़ा स्टॉल भी लगाया है और यहां कहानियों का विश्लेषण, टिप्पणी और आलोचनात्मक तथा शोधपूर्ण चर्चाओं की भी व्यवस्था
की है। प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी के कहानियों के संग्रह की खासियत यह है कि सभी
कहानियां समाज पर आधारित हैं। कुरान और हदीस से जुड़े हैं। प्रोफेसर असलम
जमशेदपुरी की हर कहानी पाठक को सोचने पर मजबूर कर देती है। ये शब्द थे डॉ. शम्स
इकबाल के, जो प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले के बाद अपने भाषण
में बोल रहे थे।
कार्यक्रम
का उद्घाटन नामिक प्रकाशन की सुश्री अंजुम ने अतिथियों का स्वागत करते हुए किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादमी दिल्ली के उर्दू कार्यक्रम प्रभारी
एवं प्रख्यात कवि डॉ. चंद्रभान ख्याल ने की, जबकि मुख्य अतिथि डॉ. शम्स इकबाल
[निदेशक, राष्ट्रीय उर्दू भाषा संवर्धन परिषद, नई दिल्ली] ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया, और प्रोफेसर अखलाक अहान, कनाडा से प्रसिद्ध कहानीकार जावेद
दानिश और प्रसिद्ध कवि डॉ. ज़की तारिक ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। इस
दौरान सभी अतिथियों द्वारा "शिकवा जवाब शिकवा" सहित कई पुस्तकों का
विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शादाब अलीम ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन
डॉ. इरशाद सियानवी ने किया।
इस
अवसर पर विशिष्ट अतिथि चंद्रभान ख्याल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि
प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी न केवल एक अच्छे कहानीकार हैं, बल्कि एक अच्छे
आलोचक भी हैं। नई पीढ़ी को उनके लेखन से बहुत लाभ मिल रहा है। "शिकवा जवाब
शिकवा" की कहानियाँ कई मायनों में पढ़ने लायक हैं। हर कहानी कुरान और हदीस से
एक सबक सिखाती है। प्रोफेसर अखलाक अहान ने कहा कि
प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी के साहित्यिक प्रयासों से पूरा देश परिचित है। उनकी कलम
से निकली रचनाएं युवा पीढ़ी को प्रभावित कर रही हैं। प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने
मेरठ में उर्दू साहित्य के नए माहौल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संग्रह के
लोकार्पण के अवसर पर अनेक अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किए। लेकिन असल बात यह है
कि असलम जमशेदपुरी की कहानियाँ और आलोचनात्मक लेखन आज पूरे भारत में पढ़ा जा रहा
है।
कनाडा
से आए प्रसिद्ध कहानीकार जावेद दानिश ने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि मेरी
किताब के साथ प्रोफेसर असलम जमशेद पुरी और प्रोफेसर अखलाक अहान की किताबों का भी
विमोचन हुआ। मेरी किताब दुनिया की उन्नीस भाषाओं में उपलब्ध है, जो अपने आप में अनूठी बात है,
लेकिन प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी के
कहानी संग्रह की खूबसूरती यह है कि इस संग्रह की सभी कहानियाँ अनूठी हैं और कुरान
और हदीस पर आधारित हैं। इस शुभ अवसर पर मैं प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी को बधाई देता
हूं।
पुस्तक
के लेखक प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा, "मुझे खुशी है कि नामिक प्रकाशन ने
इस अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में हमारी पुस्तकों का लोकार्पण आयोजित किया और यह
लोकार्पण समारोह महान आलोचकों के आशीर्वाद से हुआ। मैं सभी अतिथियों का आभार
व्यक्त करता हूं।" इस अवसर पर डॉ. आसिफ अली, मुहम्मद शमशाद, फैजान जफर, सायरा असलम, मदीहा असलम, मुहम्मद राशिद, साइमा यामीन, साइमा जालनूर, तौसिफ बानो, अधिकारी व अन्य शहरवासी मौजूद थे।
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