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Monday, February 3, 2025

सर्वोदय शांति पद यात्रा से विश्व में फैलेगी शांति: डॉ. मणिभद्र मुनि महाराज


जैन नगर से 18 किलोमीटर विहार कर खरखौदा पहुंची  सर्वोदय शांति पद यात्रा

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ: अन्तर्राष्ट्रीय मानव मिलन के संस्थापक नेपाल केसरी, राष्ट्रसंत डॉ. मणिभद्र मुनि महाराज द्वारा चलाई गई 'सर्वोदय शांति पद यात्रा' प्रवास के बाद  बसंत पंचमी पर जैन स्थानक में  तपस्वी निहालचंद महाराज का जन्मोत्सव विधिविधान के साथ मनाया गया। 17वें दिन  'सर्वोदय शांति पद यात्रा'   सोमवार को जैननगर मेरठ से प्रारंभ होकर 18 किलोमीटर का विहार कर खरखौदा अजय त्यागी के फार्म हाउस पर पहुंचे।  

इस मौके पर अन्तर्राष्ट्रीय मानव मिलन के संस्थापक नेपाल केसरी, राष्ट्रसंत डॉ. मणिभद्र मुनि जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि अज्ञान, अत्याचार और अभाव से विकल मानवता के लिए सहिष्णुता, सहयोग, समन्वय और सहचिन्तन के आधार पर बिना किसी धर्म, जाति, समाज अथवा देश के भेद के समतापूर्वक जनसेवा ही मानव मिलन का उद्देश्य है। अनैतिकता और अनाचार के कारण आज जो विकृतियां मानव को पंगु बनाये हुए हैं, उनका परिष्कार कर नैतिकता और सदाचार के आलोक में मानव मूल्यों के विकास की बलवती आकांक्षा को लेकर मानव मिलन की स्थापना हुई है। विज्ञान और तकनीकी विकास ने परमाणु बम जैसे विनाशक शस्त्र तो दिये किन्तु भूख, अशिक्षा, रोग और भय से जूझते मानव के लिए कुछ नही दिया। 

उन्होंने कहा कि जहाँ तक वर्गों, वर्णों, धर्मों और राष्ट्रों का प्रश्न है, वे सभी व्यक्तिगत स्वार्थों के वशीभूत विश्वमानवता के कल्याण का कोई सार्वभौम मार्ग निर्धारित करने में असफल रहे है। राष्ट्रवाद के नाम पर मानवता इतनी सीमाओं से घिर गई है, जिनके चलते समाधान का बिन्दु तलाश पाना अति दुष्कर हो गया है। शिक्षा के नाम पर बेकारी, श्रम के नाम बेगारी और उपलब्धि के नाम पर लोकव्यापी शून्य यही कुछ ज्वलंत मानवीय समस्याएं हैं, जिनके समूल बहिष्कार और मानवता के स्वर्णिम भविष्य को समर्पित है मानव मिलन की सभी प्रवृतियां आज आवश्यकता इस बात की है कि वर्गगत सभी सीमाओं को लांघकर हम एक मंच पर एकत्र हो और गंभीरता से विचार करें कि हम अपने लिए कैसा वर्तमान, कैसा भविष्य चाहते हैं।  प्रवचन में कहा कि आज मानवता को नयी पहचान चाहिए और मानव को नया सवेरा, नई राह और नई मंजिल और यही मूल केन्द्रीय विचार है मानव मिलन के प्रवर्तक का। हमारी प्राथमिकता वैचारिक एकता ही है, जिसके बाद आगे की कार्यप्रणाली का निर्धारण सरलता से हो सकता है।

नेपाल केसरी मानव मिलन संस्थापक जैन संत डॉ. मणिभद्र मुनि महाराज साहब अपने संयम काल में 88000 किमी की कश्मीर से कन्याकुमारी तक लगभग सम्पूर्ण भारत, भूटान और सम्पूर्ण नेपाल की पदयात्रा कर चुके है। गुरूदेव की प्रेरणा से अन्तर्राष्ट्रीय मानव मिलन भारतवर्ष व नेपाल देश में सेवा के उन अनूठे कार्यों को करता है जिससे अशिक्षा का अंधकार दूर होता है व संस्कारों के बीच अंकुरति होते हैं। जो संस्था जन्म के आधार पर मानव से मानव के भेदों को मिटाती है, ऐसी संस्था के संस्थापक व प्रेरणा स्त्रोत नेपाल केसरी डॉ. मणिभद्र मुनि जी महाराज साहब एवं मधुर गायक श्री पुनीत मुनि म., साधना प्रिय श्री सुद्देश मुनि म. की 2000 किमी की सर्वोदय शांति पद यात्रा विश्व में अभी भी 40 प्रतिशत से अधिक की आबादी ऐसी है जो अपनी आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण असंतोष व अशांति है इसलिए सन्तों, साधु व साध्वियों की इस तरह की पद यात्रा से शांति फैलेगी। सर्वोदय शांति पद यात्रा का अर्थ यही है कि समाज में शांति फैलाते हुए सर्वोदय के उदय की बात करना । 

नेपाल केसरी डॉ. मणिभद्र मुनि महाराज भी जगह-जगह जाकर मुनष्य का भेदभाव दूर कर उसे एकजुटता का संदेश दे रहे है। यह सर्वोदय शांति  पद यात्रा दिल्ली से मेरठ, आगरा, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या, बस्ती, सुनौली दिनांक 30 मार्च को नेपाल प्रवेश होगा। नेपाल में भैरहवा, बुटवल, पाल्पा, राम्दी,   फेरीखोला, कुसुमा, बेनी, मुक्तिनाथ से पोखरा में प्रवेश होगा।

इस मौके पर मानव मिलन परिवार, मेरठ से राजेंद्र जैन, राकेश जैन, राकेश जैन(बिट्टू), विजय जैन, त्रिलोक जैन, अजय गुप्ता (अध्यक्ष, संयुक्त व्यापार संघ, मेरठ), सुनील प्रवक्ता, श्री एस एस जैन सभा जैन नगर के प्रधान अमन जैन, श्री जैन श्वेतांबर मंदिर आत्मानंद जैन सभा, के प्रधान श्रीपाल जैन, हितेश जैन(महामंत्री), मानव मिलन युवा संघ, मेरठ से अमित जैन (सोनी), संदीप जैन, महिला शाखा से अनिशा जैन, शुचि जैन, सोनिया जैन आदि ने विहार का लाभ लिया।

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